कांग्रेस जीतेगी 145 सीटें, BJP विधायक बोले: फंड मिला नहीं तो कैसे हो विकास

सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों के सर्वे में मप्र में बन रही कांग्रेस की सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी दावा
- कर्नाटक की तर्ज पर चुनाव तारीखों के एलान से पहले घोषित होंगे नाम, कांग्रेस ने कई सीटों पर तय किए उम्मीदवार




भोपाल।  मप्र में करीब 5 माह बाद चुनावी बिगुल बज जाएगा। इससे पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां सरकार बनाने की रणनीति पर काम कर रही हैं। साथ ही दोनों पार्टियां सर्वे कराकर अपनी स्थिति का आंकलन कर रही हैं। अभी तक के तमाम सर्वे में जहां भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त एंटी इनकम्बेंसी सामने आई है और पार्टी की स्थिति खराब बताई जा रही है, वहीं सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों के सर्वे में दावा किया जा रहा है कि मप्र में कांग्रेस की सरकार बन रही है। इस सर्वे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी दावा है कि मप्र में कांग्रेस 135 से 145 सीटें जीतेगी।

गौरतलब है कि सत्ता, संगठन और संघ के सर्वे के बाद भाजपा लगातार मैदानी मोर्चे पर सक्रिय होकर अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई है। वहीं कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ ही अन्य नेता सक्रिय हो गए हैं। प्रदेश की कमजोर सीटों पर कमलनाथ ने अपने 16 नेताओं को तैनात कर दिया है। इस बीच प्रदेश में चल रही तमाम अटकलों के बीच कांग्रेस का दावा है कि आगामी चुनाव में वह 135 से 145 सीटें जीतेगी।  इसके लिए गठबंधन की जरूरत नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कहना है कि माहौल कांग्रेस के पक्ष में लेकिन संगठन कमजोर हैं। उसे मजबूत करना है। जीत सिर्फ भाजपा या कांग्रेस की होना है। उनका कहना है कि सभी कार्यकर्ता एकजुटता से काम करें तो प्रदेश में हमें 150 सीटें जीतने से कोई नहीं रोक सकता।

-विंध्य, बुदेलखंड, मालवा-निमाड़ में मजबूती आई

सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों के सर्वे के बाद कांग्रेस में जोश भर गया है। दरअसल, पिछले चुनाव में जिन क्षेत्रों में कांग्रेस कमजोर थी, वहां भाजपा को जमकर विरोध हो रहा है। भाजपा विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी, पदाधिकारियों के बीच गुटबाजी का फायदा कांग्रेस को हो रहा है। इस कारण कांग्रेस विंध्य, बुदेलखंड, मालवा और निमाड़ में मजबूती हुई है। 2018 में कांग्रेस को इन क्षेत्रों में अपेक्षा के अनुरूप सफलता नहीं मिली थी।

-मिशन-66 से बनेगा रिकॉर्ड

150 सीटों के साथ कांग्रेस ने सत्ता में वापसी का प्लान बनाया है। इसके लिए कमलनाथ ने मिशन 66 की शुरूआत की है। दरअसल, पार्टी उन सीटों पर खास नजर बनाए हुए है, जहां कांग्रेस कई चुनावों में पराजित हो रही है। यह वे सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस पिछले 25 सालों से सत्ता से बाहर है। से सीटें हैं भोजपुर, सागर, हरसूद, सोहागपुर, रहली, दतिया, बालाघाट, रीवा, सीधी, नरयावली, धार, इंदौर दो, इंदौर चार, इंदौर पांच, मंदसौर, महू, गुना, सिवनी, आमला, टिमरनी, सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया, भोजपुर, कुरवाई, शमशाबाद, बैरसिया, गोविंदपुरा, बुधनी, और जावद शिवपुरी, देवसर, धौहनी, जयसिंहनगर, जैतपुर, बांधवगढ़, मानपुर, मुड़वारा, जबलपुर केंट, पनागर, सिहोरा, परसवाड़ा, बालाघाट प्रमुख सीटें हैं।

-कमजोर पहले, मजबूत बाद में

चुनावी मामलों की कमेटी ने तय किया है कि जिन सीटों पर कांग्रेस मजबूत है। वहां भले बाद में फोकस किया जाए लेकिन कमजोर सीटों को पहले ध्यान में रखा जाए। कमलनाथ ने कहा कि सभी नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता लोगों के घरों तक पहुंचें। कांग्रेस की 15 महीने रही सरकार की जनकल्याण की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाएं। कमलनाथ ने कहा कि पार्टी नेता जब भी जनता के बीच जाएं तो उन्हें बताएं कि कांग्रेस की सरकार बनने पर उन्हें 300 रुपए में 300 यूनिट बिजली दी जाएगी। 500 रुपए में गैस सिलेंडर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, लाडली बहना योजना के अंतर्गत 1 हजार की जगह 1500 रुपए दिए जांएगे।

-कांग्रेस इस बार ज्यादा संगठित

सर्वे के अनुसार, इस बार भाजपा जहां बंटी-बंटी नजर आ रही है, वहीं कांग्रेस पिछली बार से ज्यादा इस बार संगठित दिख रही है। पूरी कांग्रेस कमलनाथ की लीडरशीप को स्वीकार कर रही है। जबकि भाजपा में संगठन अलग काम कर रहा है तो सरकार अलग। मंत्रिमंडल कई गुटों में बंटा हुआ है। भाजपा के सामने मजबूरी यह है की चुनाव में कम समय होने के कारण अब मुख्यमंत्री भी बदला नहीं जा सकता। पहले भी पार्टी को ऐसा कोई चेहरा नहीं मिला, जो शिवराज की जगह ले सके। भाजपा मुफ्त की रेवड़ी बांटने के खिलाफ है, लेकिन डैमेज कंट्रोल के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणाओं का पिटारा खोल रखा हैं। लेकिन इसका भी असर होता नहीं दिख रहा है।

-भाजपा के असंतुष्टों पर नजर

भाजपा के आंतरिक सर्वे और फीडबैक में पूछपरख न होने से कार्यकर्ताओं के असंतुष्ट होने की बात सामने आई है। कांग्रेस इसे एक अवसर के रूप में देख रही है। कांग्रेस की नजर भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर है। इनसे संपर्क करने के लिए पार्टी ने 16 वरिष्ठ नेताओं को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने तय किया है कि जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं का जनाधार है, उन्हें बड़े कार्यक्रमों में कांग्रेस में शामिल कराया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव अभियान की जो कार्ययोजना बनाई है, उसमें भाजपा के असंतुष्ट नेताओं से संपर्क करना भी शामिल है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ सहित अन्य नेता यह दावा कर चुके हैं कि भाजपा के कई नेता उनके संपर्क में हैं, जिन्हें समय आने पर पार्टी में शामिल कराया जाएगा।

-भाजपा विधायक बोले: फंड मिला नहीं तो कैसे हो विकास

उधर, सीएम हाउस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगातार दूसरे दिन विधायकों से वन-टू-वन किया। इस अवसर पर उन्होंने विधायकों से कहा कि वे अब अपने विधानसभा क्षेत्र में अधिक से अधिक समय गुजारें। लोगों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में बताएं। साथ ही सीएम ने विधायकों से उनके क्षेत्र की स्थिति की रिपोर्ट मांगी। तो कुछ विधायकों ने कहा कि हमें समय पर फंड ही नहीं मिला तो विकास कैसे हो। इस पर सीएम ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। अभी पांच महीना बाकी है। इस दौरान सभी को विकास के लिए पर्याप्त फंड मिलेगा। बताया जाता है कि कईक् विधायकों ने सीएम से शिकायत भी दर्ज कराई की न तो मंत्री और ना ही अफसर उन्हें तव्वजो दे रहे हैं।