सरकारी अस्पतालों के डाक्टर आज से हडताल पर

 दस हजार डॉक्टर नहीं करेंगे काम, मांगों पर अड़े

भोपाल। अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे। डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवा, पोस्टमार्टम भी नहीं करने की चेतावनी दी है। इससे अस्पतालों में व्यवस्थाएं बहुत ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है। करीब 10 हजार से ज्यादा डाक्टर आज से काम नहीं करेंगे। चिकित्सक महासंघ के पदाधिकारियों की मंगलवार को गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग और स्वास्थ्य मंत्री डा. प्रभुराम चौधरी सहित अधिकारियों के साथ बैठक हुई, पर कोई हल नहीं निकला। आंदोलन को देखते हुए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था की है। इस दौरान निजी मेडिकल कालेज और नर्सिंग होम्स की मदद ली जाएगी। जरूरत पर सरकारी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों के गंभीर रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भेजा जाएगा। 



बता दें कि चिकित्सक महासंघ की सबसे प्रमुख मांग डायनमिक एश्योर्ड करियर प्रोग्रेसिव स्कीम (डीएसीपी) है।इसके अंतर्गत डाक्टरों को तय समय पर एक वेतनमान देने की मांग है। प्रदेश में पहली बार स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा विभाग के डाक्टरों के अलावा जूनियर डाक्टर भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत गंभीर रोगियों को होगी। डॉक्टरों की प्रमुख मांगों में केंद्र, बिहार एवं अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के चिकित्सकों हेतु डीएसीपी का प्रविधान। इससे राज्य सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी नहीं आएगा।  स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं बीमा अस्पताल (ईएसआइ) की विसंगतियां दूर हों। चिकित्सकीय विभागों में तकनीकी विषयों पर प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप खत्म किया जाए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यरत संविदा चिकित्सकों (एमबीबीएस) की मप्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जाने चयन प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाए। एमबीबीएस के बाद ग्रामीण सेवा बांड राशि व शिक्षण शुल्क जो कि देश में सर्वाधिक है को कम किया जाए।  इस बारे में आयुक्त चिकित्सा शिक्षा जान किंग्सले का कहना है कि सरकारी सेवा में रहते हुए पीजी के लिए आने वाले जूनियर डाक्टर, इंटर्न डाक्टर काम करेंगे। निजी मेडिकल कालेज के डाक्टरों को बुलाया जाएगा। आवश्यकता के अनुसार रोगियों को निजी मेडिकल कालेजों में भी भेजेंगे। नर्सिंग होम्स की सेवाएं ली जाएंगी। बंधपत्र वाले चिकित्सकों ने आंदोलन किया तो उनकी बंधपत्र की अवधि अधूरी मानी जाएगी।