पीएम आवास आवंटन में रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप




मामला ग्राम पंचायत ढेंकी का


वैढ़न,सिंगरौली। पंचायती राज में भ्रष्टाचार सिर चढ़कर बोल रहा है। आये दिन खबरे मिलती रहती हैं कि विभिन्न योजनाओं के तहत सरकारी धन का आवंटन होता है। खर्चे कागज पर होते हैं। मूर्तरूप में विकास कार्य अथवा अन्य कार्य नहीं कराये जाते। आजकल ग्राम पंचयतों में प्रधानमंत्री आवास का अवंटन चर्चा का विषय बना हुआ है। जिले की लगभग सभी ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवंटन किये जा रहे आवास सुर्खियों में हैं। 

गत दिनों काल चिन्तन की टीम ने जनपद पंचायत वैढ़न की ग्राम पंचायत ढेंकी का मुआयना किया। दौरे के दौरान टीम को यह शिकायत मिली की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पात्र लोगों को आवास आवंटित नहीं किया जा रहा है। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से रोजगार सहायक संजीव देव पाण्डेय तथा सचिव धमेन्द्र सिंह पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाये। ग्रामीणों का कहना था कि गरीब व पात्र लोगों की बजाय अपात्र लोगों से पैसा लेकर अपात्र लोगों को लाभ दिया जा रहा है। ग्राम पंचायत के जिम्मेदार लोगों द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवासों के आवंटन में की जा रही अनियमितता के कारण गरीब जनता काफी परेशान दिखी। गरीबों का आरोप था कि उनके हक को बड़े लोग (अपात्र लोगों) के बीच बांटा जा रहा है। 

ग्राम पंचायत ढेंकी के पंच राजलाल शाह ने काल चिन्तन से वार्ता करते हुये बताया कि जिनके पास पक्के मकान है, गाड़ियां हैं, सरकारी नौकरी है ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री आवास का लाभ दिया जा रहा है। कुछ नामों की चर्चा करते हुये उन्होने बताया कि रमासुभग साकेत पिता ददन साकेत, राम किशुन साकेत पिता रूपलाल साकेत, रमेश शर्मा पिता दलेल शर्मा, विजय शर्मा पिता मिथिला शर्मा, नवीन शर्मा, प्रवीण शर्मा पिता कृष्णा प्रसाद शर्मा, नरेश शर्मा पिता रामायण शर्मा, शिवप्रसाद शर्मा पिता कान्ती शर्मा, सुनील शर्मा पिता राजकुमार शर्मा, अजय शर्मा पिता समरजीत शर्मा के पास पक्के मकान हैं, वाहन हैं फिर भी इन्हें प्रधानमंत्री आवास आवंटित कर दिया गया है। रोजगार सहायक तथा सचिव के कारनामों से भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इसी प्रकार मिथिलेश शाह, अजय कुमार शाह, अखिलेश कुमार शाह आदि के पास भी पक्के मकान हैं फिर भी इन्हें पात्र घोषित किया गया है। 

पंच श्री शाह ने बताया कि ग्राम पंचायत में कभी भ्ीा ग्रामसभा नहीं बुलायी जाती। सचिव, रोजगार सहायक के घरों पर बैठक की औपचारिकता कागजों पर पूरी कर ली जाती है। मनरेगा के काम में अपने खास चहेतो के नाम का मस्टर रोल तैयार किया जाता है और उनके खाते में पैसा भेजकर फिर बैंकों से निकालकर ले लिया जाता है। ग्रामीणों ने जनसुनवाई के दिन कलेक्टर से लिखित रूप से उक्त आरोपों के बारे में शिकायत की और कलेक्टर ने उन्हें जांच करवाने का आश्वासन दिया।