एमपी तीर्थ दर्शन योजना: सीएम ने हरी झंडी दिखाई, काशी के लिए पहली ट्रेन रवाना, यात्री शॉल-श्रीफल से सम्मानित



भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार की तीर्थ दर्शन योजना मंगलवार 19 अप्रैल से फिर से शुरू हो गई है। मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर वाराणसी के लिए रवाना किया। मध्य प्रदेश की संस्कृति और आध्यात्म मंत्री ऊषा ठाकुर भी ट्रेन से तीर्थ यात्रियों के साथ वाराणसी गई हैं। मुख्यमंत्री ने तीर्थयात्रियों को मंगलमयी यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के दौरान आध्यात्म मंत्री ऊषा ठाकुर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री मंडल के कई सदस्य उपस्थित रहे। यात्रियों को तीर्थ यात्रा के लिए रवाना करने से पहले मुख्यमंत्री ने रानी कमलापति स्टेशन पर तीर्थ यात्रियों को शॉल, श्रीफल और तुलसी की माला से सम्मानित किया। ट्रेन के अंदर बने मंदिर में सीएम ने पूजा अर्चना भी की। अपने संबोधन में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज मन आनंद और प्रसन्नता से भरा है। हमारे तीर्थ यात्री जीवन का अद्भुत अनुभव प्राप्त करने जा रहे हैं। 2012 में हमने तय किया कि सरकार तीर्थ यात्रा करवाएगी। ट्रेन में सभी व्यवस्था होगी, नाश्ता, चाय, तीर्थ स्थान पर रुकने की व्यवस्था और वापस लाकर उन्हें आदर के साथ घर भिजवाने की व्यवस्था। सीएम ने कहा कि अब ये ट्रेनें रुकेंगी नहीं, एक के बाद एक जाती रहेंगी और आपको दर्शन करवाती रहेंगी। जीवन का एक महत्वपूर्ण पक्ष तीर्थ दर्शन है।सीएम ने कहा कि ये यात्रा अद्भुत है। बीच में सुंदरकाण्ड, भजन चलेंगे। अद्भुत आनंद आएगा, खूब प्रेम से दर्शन कीजिए, यात्रा कीजिए और आनंद से आइए। आने के बाद गांव में कहना कि धरती बचाना है तो साल में एक पेड़ जरूर लगाओ, दूसरा गांव में कहना कि कोई नशा मत करो, तीसरा सबसे कहना जितना बेटों को मानते हो उतना बेटियों को भी मानों, बेटियों के बिना दुनिया नहीं चल सकती। मध्य प्रदेश की आध्यात्म और संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने कहा कि यह योजना 2012 से प्रारंभ की थी, 2018 तक सात सौ चालीस ट्रेनों के माध्यम से सात लाख चालीस हजार लोगों को तीर्थ यात्रा कराई। कुछ नई यात्राएं भी इससे जुड़ी हैं।अयोध्या की यात्रा भी इसमें जुड़ी है पंचतीर्थ को भी जोड़ने का मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया है। यात्रियों के लिए, उनकी सेवा के लिए एक चिकित्सक, एक भजन मंडली भी साथ में जा रही है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि पहली यात्रा में मुझे जाने का मौका मिला। आज काशी विश्वनाथ जाते हुए आपकी सेवा का मौका मिला है।