'चमयाविलक्कू उत्सव में पुरुष धारण करते हैं महिला का रूप



नई दिल्ली । केरल राज्य में होने वाले 'चमयाविलक्कू उत्सव में पुरुष धारणमहिला का रूप करते हैं और मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। केरल के कोल्लम जिले में स्थित कोट्टंकुलंगार श्री देवी मंदिर में हर साल आयोजित होने वाला उत्सव में पुरुष पारंपरिक महिलाओं की पोशाक में तैयार होते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल भक्तों की संख्या कोरोना काल से पहले की तुलना में कम थी, लेकिन विभिन्न आयु समूहों के सैकड़ों पुरुषों ने महिलाओं के रूप में इस उत्सव में भाग लिया।

मंदिर के अधिकारियों के अनुसार प्री-कोविड समय में प्रतिभागियों (स्त्री बनने वाले पुरुष) की संख्या 3000-4000 तक थी। इस मौके पर पुरुष ठीक महिलाओं की तरह साड़ी और गहने पहनते हैं। आमतौर पर मंदिर परिसर में ही परिवर के अन्य सदस्य या मेकअप आर्टिस्ट पुरुषों को तैयार करते हैं। तैयार होने के बाद यात्रा निकाली जाती है, जिसमें पुरुष हाथ में पांच बत्ती से जलाया गया दीपक रखे हुए होते हैं। बता दें कि चमयाविलक्कु का शाब्दिक अर्थ है श्रृंगार प्रकाश यानी पांच बत्ती से जलाया गया दीप।

ऐसी मान्यता है कि महिलाओं का रूप धारण कर पूजा करने से उन्हें नौकरी, धन आदि की प्राप्ति होगी। यानी जो भी मनोकामना होगी, वह पूर्ण होगी। वैसे इस उत्सव के पीछे की कई स्थानीय लोक कथाएं भी प्रचलित हैं। एक लोक कथा के अनुसार, एक बार कुछ चरवाहों ने एक नारियल को जंगल में मिले पत्थर पर मारकर तोड़ने की कोशिश की, लेकिन पत्थर से खून की बूंदे टपकने लगी। वे डर गए और गांववालों को बताया। बाद में, स्थानीय लोगों ने ज्योतिषियों से परामर्श किया। ज्योतिषियों ने कहा कि पत्थर में वनदुर्गा की अलौकिक शक्तियां हैं और मंदिर के निर्माण के तुरंत बाद पूजा शुरू की जानी चाहिए। इसलिए गांववालों ने उस जगह पर एक मंदिर का निर्माण किया।उन दिनों से केवल युवा लड़कियों को ही यहां फूलों की माला और दीपक जलाने की अनुमति थी। बाद में स्थानीय गाय चराने वाले पुरुष महिलाओं और लड़कियों रूप धारण कर मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे।

इस तरह पुरुषों और लड़कों को महिलाओं और लड़कियों के रूप में तैयार करने की परंपरा शुरू हुई।इन दिनों चमयाविलक्कू भी ट्रांसपर्सन का त्योहार है क्योंकि अब कई समुदाय के सदस्य उत्सव में शामिल होते हैं। मालूम हो कि दो साल में यह पहली बार था जब जनता की भागीदारी के साथ चमयाविलक्कू उत्सव आयोजित किया गया था। कोरोना महामारी की वजह से साल 2020 और 2021 में वार्षिक उत्सव को रद्द कर दिया गया था।