महंगाई की ऊंचाई और ठिगना गरीब



भारतीय व्यवस्था का अनोखा विकास

आर.के.श्रीवास्तव

----------------------------

काल चिन्तन, सिंगरौली। देश में भारतीय जनता पार्टी की लहर चल रही है। देश की केन्द्रीय सरकार भारतीय जनता पार्टी की है। बीजेपी देश में चतुर्मुखी विकास की बात कर रही है। सड़के बनायी जा रही हैं। फोर लेन का निर्माण हो रहा है। विदेशी रणनीति के चलते काफी धन खर्च किया जा रहा है। ताकि देश सुरक्षित रहे। उत्तर प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना परचम लहराया है। जबकि महंगाई ने अपना खाता कम नहीं किया। देश की जनता महंगा सामान खरीद सकती है लेकिन भजपा को वोट दे रही है। लेकिन क्या देश की आम जनता देश की बढ़ती हुयी महंगाई को स्वीकार करती है? आटा, दाल, तेल, सब्जी, पेट्रोल, डीजल, ये आमतौर पर आदमी के प्रयोग की चीजें हैं। इनमें बेतहाशा वृद्धि क्या सक्षम सरकार के क्रियान्वयन की पहचान है? भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र में सरकार है और देश में मैक्सीमम प्रदेशों में भाजपा की सरकार है मतलब समग्रहित रूप से एक ही मानसिक विचारधराओं की सरकार देश में चल रही है। फिर भी देश में महंगाई का उछाल समझ से परे है। 

देश की सरकार या प्रदेश की सरकार क जिम्मेदारी होती है कि आम नागरिक अपने जीवन का यापन सामान्यतया कर सके। लेकिन सरकार इस जिम्मेदारी को वहन करने के लायक नहीं है। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की आरूढ़ सरकार यह दावा बिल्कुल नहीं कर सकती कि आम आदमी के लिए बनी हुयी वो सरकार है। सरकार बनने के बाद से अभी तक किसी भी किराना की दुकान में खड़े हो जायें तो सारे सामानों का क्रय मूल्य एक साल के डिफरेंस में दूना नजर आयेगा। एक संस्थान में मजदूरी का काम करने वाला आदमी तीन सौ रूपया प्राप्त करता है। तीन सौ रूपये प्राप्त करने के बाद वो अगर किराना के दुकान में खड़ा होकर के अपने घर में खाना बनाने के लिए सामान खरीदता है तो उसका तीन सौ रूपया कम पड़ता है। दिनों दिन बढ़ती पेट्रोल तथा डीजल की कीमतें सब्जियों के कीमतों में इजाफा कर रही हैं और सरकार के नुमाइंदे सरकार की उपलब्धियों की गिनती गिना रहे हैं। मध्य प्रदेश में आरूढ़ सरकार गरीबों में अनाज बांटकर, गैस का सिलेण्डर बांटकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रही है लेकिन क्या मिडिल क्लास के लोगों के लिए भी जीवन यापन हेतु सरकार की कोई योजना है। प्राइवेट संस्थानों में कम करने वाले लोग दस हजार की पगार पाते हैं। ऐसे लोग सरकार की आर्थिक अर्थव्यवस्था में किस तरह अपने जीवन का यापन करेंगे ये समझ से परे है। लेकिन मजे की बात यह है कि यही जनता वक्त आने पर भारतीय जनता पार्टी के प्रतिद्वंदियों को संसद और विधानसभा में भेजती है। 

सामान्य जीवन में यदि भारतीय जनता पार्टी की आरूढ़ सरकार की उपलब्धियों की गिनती करें तो यह हासिल होता दिखायी दे रहा है कि एलपीजी की कीमत आम आदमी के लिए छ: सौ रूपये से बढ़कर एक हजार रूपये हो गयी। मोबाइल डाटा के लिए किया जाने वाला रिचार्ज अब लगभग दोगुना हो गया है। जियो का जो रिचार्ज १२० रूपये महीने का होता था वह अब २४० रूपये महीने का हो गया है। इसी तरह से रोजमर्रा की जो जरूरी सामानों की कीमतें हैं वह मामूली ब्रेड से लेकर के अन्य खाद्य सामग्री तक बढ़ गयी हैं। विक्रेताओं का रोना यह है कि डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ गये इसके कारण सारी चीजों के दाम बढ़ गये। 

केन्द्र सरकार क्या चाहती है? यदि आम जनता को जीवन जीने के लिए सामान्यतया जिन जरूरी चीजों की आवश्यकता हेाती है उनमें बेतहाशा वृद्धि क्या विकास का द्योतक है? हर साल साल और दो साल बीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नुमाइंदे सरकार की उपलब्धियों की गिनती गिनान के लिए पत्रकारों को बुला लेते हैं। यह शर्म की बात है कि आम आदमी को जीवन जीने के लिए जिन जरूरतों की आवश्यकता होती है उनको प्राप्त करने के लिए शने: शनै: गंभीरता बढ़ती है तो इसे सरकार की उपलब्धि नहीं माना जा सकता।