सरकारी मूल्य नियंत्रण: नींबू उछला, छेने का रसगुल्ला दबा





वैढ़न,सिंगरौली। महंगाई दिल खोलकर बोल रही है। सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हैं। भयंकर गर्मी पड़ रही है, लोगों को राहत नहीं है। पेट खराब है, डिसेंट्री हो रही है ऐसी हालत में नींबू की डिमांड बढ़ गयी है। नींबू का उछाल काबिले तारीफ है। आप नींबू लेने जाइये पंद्रह रूपये का एक नींबू आपको ऐसा मिलेगा जिसमें रस नाम मात्र का होगा। कहते हैं कि रस से भरा रसगुल्ला होता है, नींबू ने रसगुल्ले को भी मात दे दी है। सिंगरौली जिले में छेने का रसगुल्ला दस रूपये का एक पीस मिल रहा है। शुगर वालों कीे दिक्कत है, रसगुल्ला खा नहीं सकते। नींबू पंद्रह रूपये का मिल रहा है जिसमें रस नहीं है। तकाजा यह है कि एनसीएल और एनटीपीसी के इस मकड़जाल में फंसा सिंगरौली जिले का मूल निवासी प्रदूषण की मार खा रहा है इसलिए डायबिटिज का पेशेंट शराब के एक पैग में अगर चार बूंद नींबू के मिल जाये तो जायका भी बदल जाता है और शुगर भी कंट्रोल होती है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में विचरण कर रहे विधायक, जनप्रतिनिधि, भाजपाई नेता इस बात से बेखबर हैं कि आम जनता को राहत के लिए क्या चाहिए? एक तरफ सीएम शिवराज सिंह चौहान सिंगरौली को सिंगापुर बनाने के लिए आतुर हैं, जंगल कट रहे हैं और कंकरीट के जंगल बनाये जा रहे हैं। लेकिन नींबू पर कोई ध्यान नहीं है। पूरा कलेक्ट्रेट परिसर वृक्ष विहीन है। योजनाएं बहुत सी आयीं, वृक्षारोपण पूरे जिले में किया गया, लेकिन कलेक्ट्रेट में क्यों लू बह रही है। किसी भी वाहन को खड़े होने के लिए छाया का अभाव है। कलेक्टर साहब वायुमंडल में अगर एनटीपीसी विन्ध्यनगर की राख घुल रही है, एनसीएल की कोयला की धूल घुल रही है तो नींबू थोड़ा बहुत तो बचा सकता है। रसगुल्ला तो कलेजे को ठण्डा करेगा लेकिन पेट को शुगर देगा। कीमतों में नींबू का उछाल और कीमतों में रसगुल्ला का पतन सिंगरौलीवासियों के लिए चिंता का विषय है।