इलायची में होता है एक प्राकृतिक कम्पाउंड



नई दिल्ली। फ्लोरिडा के ‘ए एंड एम यूनिवर्सिटी’ में सहायक प्रोफेसर और शोध विश्लेषक डॉ. पेट्रीसिया मेंडोंका ने फिलाडेल्फिया में इस बात का सबूत पेश किया कि इलायची में एक प्राकृतिक कम्पाउंड होता है, जो टीएनबीसी के इलाज में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, डॉ मेंडोंका ने कहा कि इलायची पर कई शोध किए गए ।

इनमें उल्लेख किया गया है कि इलायची में ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और कोलोरेक्टल कैंसर से लड़ने वाले गुण पाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘सभी रिपोर्ट्स में किए गए औषधीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए और भारतीय व्यंजनों में कई वर्षों से इलायची का उपयोग करने को लेकर हमने पीडी-एल1/एमआरएफ2 एक्सिस पर इसके प्रभाव की जांच करने का निर्णय लिया। पीडी-1 और पीडी-एल-1 टी कोशिकाओं को अन्य कोशिकाओं पर हमला करने से रोकने के लिए एक साथ जोड़ देती हैं और इससे कैंसर कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से बच जाती हैं और इस तरह कैंसर जंगल की आग की तरह शरीर में फैल जाता है। कैंसर का इलाज करते समय पीडी-एल1 को पीडी-1 कोशिकाओं के साथ बंधने से रोका जा सकता है, ताकि टी कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें मार सकें। इसके लिए अवेलुंब (बावेनेसियो) और अंटेझोलीझुमाब (टेसेनट्रीक) दो इम्यूनोथेरेपी दवाएं हैं, जो इस काम में मदद करती हैं और कैंसर के इलाज में उपयोग की जाती हैं।

मालूम हो कि ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में लगभग 10-15 प्रतिशत केस ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं। यह इलाज के लिए सबसे कठिन ब्रेस्ट कैंसर होता है। यह विशेष रूप से अश्वेत महिलाओं, कम उम्र की महिलाओं और बीआरसीए म्यूटेशन वाली महिलाओं में देखा जाता है। टीएनबीसी का इलाज करना इतना कठिन इसलिए होता है, क्योंकि इस रोग में कोशिकाएं तीन घटकों- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर्स, और एचईआर-2 प्रोटीन के लिए टेस्ट में नेगेटिव पाई जाती हैं।