रासलीला में हुआ मीरा चरित्र का वर्णन, कृष्ण से मिला था मीरा को भक्ति का वरदान





सिंगरौली। चिकसौली गांव की गोपी को अगले जन्म में कृष्ण से भक्ति का वरदान मिला था। यही गोपी कलियुग में गिरधर गोपाल की भक्त मीरा के नाम से प्रसिद्ध हुई। मोरवा स्थित बस स्टैंड समीर शिव मंदिर प्रांगण में बीते बुधवार शाम से रासलीला का आयोजन किया जा रहा है।  रासलीला में कलाकारों ने शनिवार को मीरा चरित्र का मंचन किया। रासाचार्य फतेहकृष्ण शर्मा ने मीरा चरित्र के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि मीरा पूर्व जन्म में श्रीराधारानी के गांव बरसाना के पास चिकसौली गांव की गोपी थीं। नंद गांव के एक गोप से विवाह हुआ तो ससुराल जाते समय मां ने बेटी को कृष्ण का मुख न देखने की सीख दी। गोवर्धन पूजा के दौरान गोपी ने गिरिराज पर्वत उठाए कृष्ण के दर्शन किए तो उसे मां की सीख पर अमल करने पर पश्चाताप हुआ। वह रोने लगी और मन में कृष्ण से इस अपराध के लिए क्षमा मांगने लगी।

कृष्ण ने गोपी के इस दुख को कम करते हुए अगले जन्म में अपनी भक्ति का वरदान दिया। कृष्ण के वरदान का ही असर था कि गोपी ने राजस्थान के मेड़ता गांव में पिता रतनसिंह के परिवार में मीरा के रूप में जन्म लिया। मीरा का मन बचपन से ही गिरधर गोपाल में रमा था और पिता ने उनका विवाह मेवाड़ के राजा संग्राम सिंह के पुत्र भोजराज के साथ करा दिया। भोजराज की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई विक्रम ने राजकाज संभाला और मीरा को कष्ट दिए।

तमाम परेशानियों के बाद भी गिरिधर में मीरा की भक्ति बनी रही। विक्रम के अत्याचार बढऩे पर मीरा मेड़ता छोडक़र पहले वृंदावन और फिर वहां से द्वारिका आ गईं। श्रद्धालु भक्ति भाव में लीन होकर रासलीला का आनंद लेते दिखे। आगामी 20 अप्रैल तक चलने वाले इस रासलीला आयोजन में सभी से पहुंचने की अपील की गई है।