मप्र व्यापमं घोटाला: आरक्षक भर्ती घोटाले के आरोपी प्रशांत चौधरी और सतीश सिंह को पांच-पांच साल की सजा



ग्वालियर। पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में दो आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। एक ने दूसरे का पेपर लिखा था। जांच के बाद दोनों को आरोपी बनाया गया था। विशेष सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने आरोपी प्रशांत चौधरी और सतीश सिंह को 5-5 साल की सजा सुनाई है। दोनों पर 3600-3600 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट में दोनों को जेल भेज दिया है।

बता दें मध्य प्रदेश में व्यापमं ने साल 2013 में पुलिस आरक्षक भर्ती की परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में उत्तर प्रदेश के ग्राम इतौली थाना राया मथुरा निवासी सतीश सिंह ने भी फॉर्म भरा था। उसका सेंटर नई सड़क स्थित रानी लक्ष्मीबाई शासकीय स्कूल में था। सतीश खुद पेपर देने नहीं आया था, उसकी जगह काला पुरी थाना जहांगीर बुलंदशहर उत्तर प्रदेश निवासी प्रशांत चौधरी ने पेपर दिया था। उसके बाद सतीश का आरक्षक के पद पर चयन हो गया। उसे इंदौर में नौकरी जॉइन करनी थी। उससे पहले ही पुलिस विभाग के पास शिकायत पहुंच गई और ग्वालियर एसपी ने जांच के आदेश दे दिए। 

ओएमआर शीट की जांच कराई तो उस जगह सतीश सिंह के अंगूठे के निशान नहीं थे। जनक गंज थाना पुलिस ने सतीश के खिलाफ केस दर्ज किया। इसके बाद केस सीबीआई के पास पहुंच गया। सीबीआई ने सतीश को मथुरा से पकड़ लिया और उसे पूछताछ की। पूछताछ में उसने अपनी सॉल्वर का नाम बता दिया। सीबीआई ने बुलंदशहर के प्रशांत चौधरी को बुलाया और अंगूठे, हेड राइटिंग के नमूने दिए। जिसकी जांच कराई तो प्रशांत चौधरी से मैच कर गई। सीबीआई ने कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है।