समान अवसर मिलने पर बेटों से बेहतर प्रदर्शन करती हैं बेटियां: पीएम मोदी



नई दिल्ली। देश और दुनिया के छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा नामक संवाद के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिभावकों से अपील की बेटे और बेटी में कोई भेदभाव न करें। बेटियों को भी शिक्षा के समान अवसर मिलें।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर समाज बेटियों के सामर्थ्य को जानने में पीछे रह गया तो फिर देश भी आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि कभी-कभी तो आपने ऐसे परिवार देखे होंगे जहां पर यह कहते हैं कि बेटा तो होना ही चाहिए ताकि बुढ़ापे में काम आएगा। लेकिन इतिहास अनुभव कराता है और मैं इन चीजों को बड़ी बारीकी से देखता हूं। मैंने ऐसी कई बेटियां देखी है जिन्होंने बूढ़े मां बाप की देखरेख के लिए खुद शादी नहीं। इन बेटियों ने अपने माता पिता को वह प्यार दिया जो कोई बेटा नहीं कर सकता था।प्रधानमंत्री ने कहा कि मेने ऐसे भी परिवार देखे हैं कि घर में चार बेटे हैं और चार बेटों को चार बंगले हैं। सुख सुविधा है लेकिन मां-बाप लाचारी में जिंदगी बिता रहे हैं। इसलिए मेरा मानना है समाज के अंदर बेटे बेटी एक समान होना चाहिए। लड़के लड़की के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए यह आज के युग की अनिवार्यता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने याद दिलाते हुए कहा कि अगर गवर्नेंस की बात करें तो अहिल्याबाई का नाम आता है। प्रधानमंत्री ने बेटियों को याद करते हुए रानी झांसी का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप देखेंगे कि आज जो बच्चे स्कूल आते हैं उनमें बेटों से ज्यादा बेटियां स्कूल आती हैं।उन्होंने कहा कि बेटियों के अंदर जो कुछ कर गुजरने का जज्बा है उससे सारा हिंदुस्तान गर्व करता है और हमें बेटियों को अवसर देना चाहिए। खेलकूद में भी भारत की बेटियां अपना नाम रोशन कर रही है। विज्ञान का क्षेत्र देखिए विज्ञान में बड़े-बड़े अचीवमेंट में आज भारत की बेटियों के नाम हैं। आप दसवीं और बारहवीं कक्षा के रिजल्ट देख लीजिए बेटों से ज्यादा बेटियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ऐसी स्थिति में आज हर परिवार के लिए बेटी एक बहुत बड़ी संपत्ति बन गई है। गुजरात में पंचायती राज व्यवस्था है यहां 50 प्रतिशत निर्वाचित बहने हैं लेकिन वास्तविक स्थिति यह बनती है कि चुनाव के बाद निर्वाचित महिलाओं की कुल संख्या 52, 53, 54 प्रतिशत हो जाती है। इसका मतलब यह है कि समाज का भी माताओं बहनों पर विश्वास अधिक है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो आज भारतीय संसद में आज तक के कालखंड की सबसे ज्यादा महिला सांसद है। गांव में देखा जा रहा है जो पढ़ी-लिखी बेटियां है लोग उनको चुनना ज्यादा पसंद करते हैं। यानी समाज में भी शिक्षा के प्रति सम्मान का भाव हर स्तर पर नजर आ रहा है।

प्रधानमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि हो सकता है कि वह दिन भी आए जब पुरुष प्रदर्शन करें कि अध्यापक पद पर पुरुषों के लिए इतना परसेंट आरक्षण रखा जाए, क्योंकि आज अध्यापन के क्षेत्र में अधिकांश महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री ने कहा बेटे और बेटियों के लिए समान अवसर उपलब्ध होने चाहिए। बेटियों पर भरोसा जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि समान अवसर मिलने पर बेटा यदि 19 करेगा तो बेटी 20 करने की क्षमता रखती है।प्रधानमंत्री ने वैक्सीनेशन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जिस तेजी से हमारे देश में वैक्सीनेशन हुआ है वह एक रिकॉर्ड है। खासतौर पर छात्रों का वैक्सीनेशन किया जाना एक बड़ी बात है। छात्रों ने भी इस कार्यक्रम में काफी उत्साह दिखाया और अपना वैक्सीनेशन कराया है।दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री ने छात्रों अभिभावकों एवं शिक्षकों के साथ परीक्षा पे चर्चा नामक संवाद किया। आप के दौरान प्रधानमंत्री ने बेटियों को लेकर यह महत्वपूर्ण बातें कहीं।प्रधानमंत्री ने यहां परीक्षा को लेकर छात्र छात्राओं के प्रश्नों के जवाब दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आपके मन में घबराहट क्यों होती है, क्या आप पहली बार परीक्षा देने जा रहे हैं। आप में से कोई नहीं है जो पहली बार परीक्षा देने जा रहा है। आप सभी बहुत सारे एग्जाम दे चुके हैं। आप एग्जाम के आखरी छोर की ओर पहुंच चुके हैं। आप एक बात तय कर लीजिए की परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है। जीवन के यह छोटे-छोटे पड़ाव है जिनसे हमें गुजारना है और हम पहले गुजर भी चुके हैं।प्रधानमंत्री ने कहा आप सुनी सुनाई बातों से प्रभावित मत होइए। आप यह मत देखिए कि दूसरे क्या कर रहे हैं। फिर आप बहुत सरलता से उमंग से उत्साह से परीक्षा दे पाएंगे और सफल होंगे।