देवघर में रोपवे टूटने से पूरी रात हवा में अटके रहे 48 लोग, 2 की मौत, रेस्क्यु जारी



 देवघर. रविवार की शाम झारखंड के देवघर में बड़ा हादसा हो गया. यहां त्रिकुट पर्वत पर संचालित रोपवे का सैप टूटने से अचानक हवा में करीब 75 से अधिक लोग फंस गए. हालांकि इनमें से 24 लोगों को तो देर रात तक ही निकाल लिया गया, लेकिन 12 केबिन में फंसे 48 पर्यटक पूरी रात हवा में अपनी सांसें थामे जमीन से करीब दो हजार फीट ऊपर लटके रहे. सोमवार की सुबह करीब सवा छह बजे वायुसेना का हेलीकॉप्टर कमांडोज के साथ पहुंचा. राहत व बचाव कार्य शुरू किया जा चुका है.

इससे पहले सुबह करीब सवा पांच बजे भारतीय सेना व आइटीबीपी की टीम बचाव कार्य के लिए त्रिकुट रोपवे पहुंची. साढ़े पांच बजे पटना से एनडीआरएफ की टीम भी आई. वहीं देवघर की 30 सदस्यीय एनडीआरएफ टीम व जिला प्रशासन के लोग पूरी रात अपने स्तर से रोपवे में फंसे लोगों को बचाने में जुटे रहे. जिले के डीसी, एसपी समेत अपनों की सकुशल वापसी का इंतजार कर रहे स्वजन भी पूरी रात घटनास्थल पर ही डटे रहे.रविवार शाम में हुए हादसे के बाद 12 ट्रॉलियों में फंसे लोग पास की दूसरी ट्रॉली के लोगों के साथ पूरी रात बात करते रहे. राहत कार्य में जुटे कर्मी भी उनसे लगातार संपर्क करते रहे. बताया जाता है कि ऊपर फंसे सारे लोग बिल्कुल सुरक्षित हैं. हालांकि रविवार शाम में हुए हादसे के बाद इन्हें कुछ भी खाने-पीने को नहीं मिल सका है. जो कुछ यह अपने साथ ले गए, उसी को खाकर भूख मिटाई.

26 ट्रॉली के साथ त्रिकुट पर्वत पर चलता है रोपवे, कल चल रही थीं 24: गौरतलब है कि त्रिकुट पर्वत पर संचालित रोपवे कुल 26 ट्रॉलियों के साथ चलाया जाता है. हालांकि रविवार को 24 ही चल रही थीं. 2 ट्रॉलियों का मेंटेनेंस किया जा रहा था. हादसे के समय रोपवे के 20 केबिन में 80 यात्री सवार थे. इनमें से 8 केबिन में फंसे करीब 28 लोग रविवार की रात तक ही निकाल लिये गए थे, जबकि 12 अन्य ट्रॉलियों में फंसे लोगों को बचाने के लिए अब अभियान चलाया जा रहा है. वहीं पहाड़ के ऊपर फंसे करीब 25 से 30 लोग रात में पैदल ही नीचे उतर गए.

त्रिकुट पर्वत पर झारखंड का एकमात्र रोपवे:  झारखंड का एकमात्र रोपवे देवघर के त्रिकुट पर्वत पर है. इसके माध्यम से यहां आए पर्यटक पर्वत पर जाते हैं. रविवार को रोपवे ने ज्योंही यात्रा प्रारंभ की, इसके टाप लेवल के रोप का सैप टूट गया. रोप वे का संचालन दामोदर वैली कंपनी करती है. इससे सालाना तकरीबन 80 लाख रुपये सरकार को मिलते हैं.

हादसे की प्रत्यक्षदर्शियों की जुबानी:  प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रोपवे के सैप के टूटते ही जमीन से 2512 फीट ऊपर के दो केबिन टावर से टकरा गए और आठ यात्री इसमें घायल हो गए. सतह से ऊपर की ओर जा रहे एक केबिन में बैठे दो यात्री घायल हो गए. यह दोनों पति-पत्नी असम के कोकराझार के रहने वाले हैं. दंपती भूपेन वर्मा एवं दीपिका वर्मा का इलाज सदर अस्पताल में किया जा रहा है. दीपिका के माथे में चोट आई है. वह बेहोश है. भूपेन भी कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं हैं. रोपवे के शुरू होने पर एक तरफ से 12 केबिन और दूसरी तरफ से 12 केबिन एक साथ चलते हैं. घटना ऊपर से नीचे आने वाले रोपवे के सैप टूटने से हुई है. इससे रोपवे बंद हो गया. हालांकि नीचे से ऊपर की ओर जाने वाला सैप नहीं टूटा था. इस घटना में टाप के दो केबिन के यात्री ज्यादा घायल हैं.