कोयला संयुक्त श्रमिक संगठन ने देशव्यापी हड़ताल में संभाला मोर्चा
सोनभद्र ।केंद्रीय श्रम कानूनों में हुए नए बदलाव के खिलाफ व निजीकरण के खिलाफ कामगार संगठनों ने दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल सोमवार सुबह से जारी है। सोनभद्र और सिंगरौली जिले में कोयला खदानों के कामगार संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बैनर तले सोमवार सुबह से ही हड़ताल को कामयाब बनाने के लिए सुबह से ही मोर्चा संभाल रखा है। एनसीएल कामगार संगठनों ने आरोप लगाया कि भारत सरकार रेलवे, रक्षा, बीएसएनएल सहित अन्य कंपनियों की भांति कोयला उद्योग को भी निजीकरण की ओर ले जा रही है, कोयला मजदूरों के सीएमपीएफ का DHLF में निवेश कर 727.67 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है, लेकिन सरकार द्वारा उक्त राशि का अभी तक वसूली नहीं किया गया है। कोल इंडिया को नए खदान आवंटित करना बंद कर दिया गया है, महंगाई चरम सीमा पर है, वहीं कोल इंडिया प्रबंधन द्वारा जबरदस्ती बायोमेट्रिक मशीन द्वारा हाजिरी जैसे नियम थोपे जा रहे हैं। जेबीसीसीआई-11 का जल्द समझौता करने में प्रबंधन टालमटोल की स्थिति अपना रहा है।भारत सरकार एवं कोल इंडिया के तानाशाही कार्य के विरुद्ध केंद्रीय श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चे के आवाह्न पर एनसीएल कामगार संगठनों ने 28-29 मार्च को जारी दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के लिए सोमवार सुबह से ही हल्ला बोल किया हुआ है। एनसीएल के इंटक, एटक, एचएमएस व सीटू मजदूर संगठनों ने हड़ताल को समर्थन दिया। वहीं बीएमएस ने तमाम संगठनों पर राजनीति का आरोप लगाते हुए हड़ताल से खुद को किनारा कर लिया है।राष्ट्रीय कोयला श्रमिक सभा (इंटक) नेता निरंजन झा व सीटू नेता अशोक धारी ने बताया कि देशव्यापी हड़ताल का एनसीएल में व्यापक असर देखने को मिल रहा है और लगभग 50% कोयला उत्पादन व 70% कोयला डिस्पैच प्रभावित हुआ है। भारत सरकार से केंद्रीय ट्रेड यूनियन के नेताओं से राष्ट्रहित में अपील करने के बाद कुछ कोयला डिस्पैच को श्रमिक संगठनों द्वारा राहत दी गई है।