दिल का दौरा पड़ने के बाद दिमाग कम काम करता है? जानें क्या कहते हैं वैज्ञानिक



एजेंसी,वाशिंगटन। क्या आप जानते हैं कि दिल का दौरा सोचने-विचारने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। एक नये अध्ययन में इसके संकेत मिले हैं कि हृदयाघात झेल चुके लोगों का दिमाग आने वाले कुछ दिनों या महीनों में पहले की तुलना में कुछ कम काम करता है।शोधकर्ताओं का कहना है कि जिस व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ चुका हो, आने वाले समय में उस पर ध्यान देने एवं उसकी दिमागी एवं ज्ञानात्मक गतिविधियों की निगरानी की जरूरत होती है।पोलैंड में स्थित जे. स्ट्रुस अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट और शोध की मुख्य लेखिका डोमिनिका कास्प्रजाकी ने कहा कि हमने मायोकार्डियल इंफार्क्शन के कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों के बीच पहले से अज्ञात संज्ञानात्मक हानि का बहुत अधिक फैलाव पाया।उन्होंने आगे कहा कि यह मानसिक कमजोरी या असमर्थता स्थायी या अस्थायी दोनों हो सकती है। कुछ मरीजों में यह मानसिक कमजोरी दिल का दौरा पड़ने के कई महीनों के बाद देखने को मिलती है।इस अध्ययन के तहत अध्ययनकर्ताओं ने हृदयाघात के बाद पोलैंड के अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों में से 220 मरीजों की मानसिक कार्यप्रणाली का आकलन किया। दिल का दौरा पड़ने के कुछ दिनों बाद इन मरीजों की दो ज्ञान संबंधी जांचें की गईं और

दो जांचें अहम: ये दो जांचें थीं-मिनी-मेंटल स्टेट एग्जामिनेशन और क्लॉक ड्रॉइंग टेस्ट। ये जांचें किसी व्यक्ति की सोच, याददाश्त एवं बुनियादी कार्यों को करने की क्षमता का आकलन करती हैं। आमतौर पर इन जांचों का उपयोग डिमेंशिया (पागलपन) के लक्षणों की पहचान करने के लिए किया जाता है।जांचों में पाया गया कि दोनों बार की जांचों में करीब 50 प्रतिशत मरीजों में उनकी मानसिक कार्यप्रणाली सामान्य रूप से काम कर रही थी, जबकि बाकी आधे मरीजों में कुछ मानसिक कमजोरी आ गई थी।

27-33 प्रतिशत में शुरुआत में दिखे लक्षण: करीब 35-40 प्रतिशत मरीजों में दिल का दौरा पड़ने के बाद शुरुआती दिनों में दिमागी दुर्बलता देखी गई, जबकि 27-33 प्रतिशत मरीजों में हृदयाघात के छह माह दिमागी दुर्बलता देखने को मिली।