भारत पर टिकी है दुनिया की नजर, नयी वैश्विक व्यवस्था में अपनी भूमिका बढ़ानी है: ्पीएम मोदी

 


देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि आज दुनिया की नजर भारत पर टिकी हुई है और कोविड-19 महामारी के बाद जो नयी वैश्विक व्यवस्था उभर रही है, उसमें भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी है तथा तेज गति से अपना विकास भी सुनिश्चित करना है। उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के 96वें सामान्य बुनियादी पाठ्यक्रम के समापन समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि 21वीं सदी के भारत का सबसे बड़ा लक्ष्य आत्मनिर्भर भारतका है और किसी भी सूरत में इस अवसर को खोना नहीं है।

उन्होंने कहा, 21वीं सदी के जिस मुकाम पर आज भारत है, पूरी दुनिया की नजरें हम पर टिकी हुई हैं। कोविड ने जो परिस्थितियां पैदा की हैं, उसमें एक नया वर्ल्ड आॅर्डर (वैश्विक व्यवस्था) उभर रहा है। इस नए वर्ल्ड आॅर्डर में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी है और तेज गति से अपना विकास भी करना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारियों को एक चीज का हमेशा ध्यान रखना है कि 21वीं सदी के भारत का सबसे बड़ा लक्ष्य ह्यह्यआत्मनिर्भर भारत और आधुनिक भारतबनाना है। उन्होंने कहा, इस समय को हमें खोना नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवा और कर्तव्य भाव का महत्व प्रशिक्षु अधिकारियों के प्रशिक्षण का अभिन्न हिस्सा रहा है और उन्हें इस भाव को अपनी सेवा के दौरान भी बनाए रखना होगा, तभी वह समाज व देश के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि आजादी के 100 वर्ष पूरे होने में 25 साल बचे हैं और इसमें देश कितना विकास करेगा, उसमें इन अधिकारियों की बहुत बड़ी भूमिका होगी।

मोदी ने कहा,बीते 75 वर्षों में हमने जिस गति से प्रगति की है, अब उससे कई गुना तेजी से आगे बढ़ने का समय है। इसलिए आपको फाइल और क्षेत्र के कामकाज के अंतर को समझना है। फाइल में आपको असली चीज नहीं मिलेगी, फील्ड (क्षेत्र) के लिए आपको उससे जुड़ा रहना ही पड़ेगा। फाइल में जो आंकड़े होते हैं, वह सिर्फ नंबर नहीं होते हैं। हर एक आंकड़ा... हर एक नंबर एक जीवन होता है और हमें इसके महत्व को समझना होगा। उन्होंने कहा ह्यह्यजीवन में हर एक व्यक्ति के कुछ सपने होते हैं और उनकी कुछ आकांक्षाएं होती हैं। आपको उनकी कठिनाइयों और चुनौतियों के लिए काम करना है।प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षु अधिकारियों से अपने कायर्काल में अपने क्षेत्र के लिए पांच से सात चुनौतियां चुनने और उनका समाधान ढूंढने को कहा, ताकि लोग उन्हें लंबे समय तक याद रखें। उन्होंने इस संबंध में सड़क बनने के बाद टेलीफोन लाइन बिछाने या नालियां बनाने के लिए उसे (टेलीफोन लाइन को) फिर खोद दिए जाने का उदाहरण दिया और कहा कि सभी संबंधित विभागों के आपसी समन्वय की कमी को दूर करने के लिए पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान बनाया गया है। इस संबंध में भारतीय दर्शन स्वन्त: सुखाय का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि कभी-कभी अनेक काम करने के बाद भी वह आनंद नहीं मिलता जो खुद तय किए गए एक या दो कामों को करने से अनुभूति मिलती है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को ऐसा काम करना चाहिए, ताकि लोग उन्हें 20 साल बाद भी करें कि एक साहब ऐसे आए थे और वह ऐसा शानदार काम करके गए।

आईएएस अधिकारियों के प्रशिक्षण में बदलाव कर उसका आधार मिशन कमर्योगी किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि उन्हें इसका बहुत बड़ा लाभ मिलेगा। अलग-अलग राज्यों और सामाजिक परिवेश से आने के बावजूद उन्हें एक भारत—श्रेष्ठ भारत को जोड़ने वाली कड़ियां बताते हुए मोदी ने विश्वास जताया कि उनका सेवा भाव और ईमानदारी आने वाले दिनों में उनकी एक अलग पहचान बनाएगी। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रशिक्षण पूरा कर क्षेत्र में जाने से पहले आईएएस अधिकारी अपनी सोच, अपने स्वप्न और लक्ष्य को लेकर एक लंबा निबंध लिखकर अकादमी में छोडकर जाएं और 25-50 साल बाद दोबारा आकर उसे पढें कि क्या उन्होंने उसे हासिल किया, या लक्ष्य से भटक गए। प्रधानमंत्री ने अकादमी प्रशासन को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डेटा गवर्नेंस जैसे विषयों को प्रशिक्षण का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया और कहा कि इन म​हत्वपूर्ण विषयों पर ह्यह्यआॅनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जा सकता है।