लार की जांच पता चलेगा, बच्चा पहले पैदा होगा या नहीं



नई दिल्ली। अमेरिकी यूनिवर्सिटी की स्टडी में साइंटिस्टों ने दावा किया है कि शिशुओं के जन्म के पहले ही माता-पिता के स्वैब (लार) से यह पता लगाया जा सकता है कि उनका बच्चा समय से पहले पैदा होगा या नहीं।वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी ये जानकारी सामने आई है। रिसर्चर्स का कहना है टेस्ट के जरिए ऐसी प्रेग्नेंसी का पता लगाया जा सकता है, जिसमें बच्चे के समय से पहले जन्म लेने की संभावना ज्यादा होती।इस टेस्ट के जरिए डॉक्टरों के लिए प्रेग्नेंट महिलाओं का इलाज समय पर करना संभव हो सकेगा।स्टडी में वैज्ञानिकों ने बच्चे के पैदा होने के 9 दिन बाद लगभग 40 पेरेंट्स के स्वैब (लार) की जांच की।लैब में नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि समय से पहले बच्चों को जन्म देने वाली माताओं में 100 अनूठे बायोमार्कर थे, जिससे बच्चों के प्रीमेच्योर होने का पता चला।
इस स्टडी के राइटर प्रोफेसर माइकल स्किनर ने बताया कि बायोमार्कर उन सभी माता-पिता में मौजूद थे, जिनके बच्चे जल्दी पैदा हुए थे।नतीजों से पता चलता है कि बायोमार्कर उन बच्चियों में भी देखे गए, जो समय से पहले पैदा हुई थीं, लेकिन लड़कों में ऐसा कम पाया गया। प्रोफेसर स्किनर ने आगे बताया, 'हालांकि, हम बच्चों के जन्म लेने के समय को निर्धारित नहीं कर सकते, लेकिन हम समय रहते दवाओं के जरिए इसका इलाज कर सकते हैं, जिससे जन्म लेने वाले बच्चों में किसी तरह की समस्या न आए।रिसर्चर्स ने कहा कि बायोमार्कर के संबंध में अभी और स्टडी करने की जरूरत होगी।स्टडी के अनुसार प्रेग्नेंसी के 37वें सप्ताह से कम समय में जन्म लेने वाले बच्चे समय से पहले यानी प्रीमेच्योर कहे जाते हैं और ऐसा हर 10 में से एक बच्चे के साथ होता है।
जो महिलाएं स्मोकिंग करती हैं, डायबिटीज से पीड़ित हैं या उनके गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं, तो ऐसे में समय से पहले जन्म की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। बता दें कि ब्रिटेन और अमेरिका में लगभग हर साल 10 हजार बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं यानि प्रीमेच्योर होते हैं।और नवजात शिशुओं की मौत का ये भी एक प्रमुख कारण है।ऐसे बच्चों में भविष्य में हेल्थ से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा भी ज्यादा होता है, जैसे कि विकलांग होना और दौरे पड़ना।