बच्चों में ईर्ष्या की वजह बनते हैं ये कारण,जाने लक्षण और निपटने के उपाय



नई दिल्ली। आपने अपने आसपास कई ऐसे बच्चों को देखा होगा जो मां की गोद में दूसरे बच्चे को देखते ही रोने लगते हैं या फिर माता-पिता की तरफ से दूसरे बच्चों की तारीफ करने पर उन बच्चों से चिढ़ने लगते हैं। क्या आप जानते हैं ये दोनों ही बातें बच्चों में ईर्ष्या की भावना पैदा होने की निशानी है। आइए जानते हैं आखिर बच्चों में ईर्ष्या की वजह बनने वाले कारण, लक्षण क्या हैं और कैसे ईर्ष्यालु बच्चों को समझाया जा सकता है।
बच्चों में ईर्ष्या का कारण बनती हैं ये बातें -
ओवर प्रोटेक्टिंग माता-पिता-माता-पिता का ओवर प्रोटेक्टिंग नेचर बच्चे के आत्मविश्वास को गलत तरह से प्रभावित कर सकता है। ऐसा बच्चा अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा अपने माता-पिता या किसी दूसरे व्यक्ति पर हमेशा निर्भर रहता है। लेकिन माता-पिता जब दूसरे बच्चे को प्यार करने लगते हैं तो इस बच्चे के मन में अपनी सुरक्षा खोने का भय उत्पन्न हो सकता है, जो बच्चे में ईर्ष्या की वजह बन सकता है।
बच्चे की तुलना करना-ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चे की तुलना उसके साथ के बाकी बच्चों के साथ करते हैं। फिर चाहे पढ़ने लिखने की बात हो या फिर कुछ नया सीखने की, ऐसा बिल्कुल न करें। माता-पिता का ऐसा व्यवहार बच्चों में ईर्ष्या की भावना उत्पन्न कर सकता है।
अधिक सख्ती-कुछ पेरेंट्स अपने बच्चे को नियमों में बांधकर रखने में ही उनकी भलाई समझते हैं। लेकिन ऐसे बच्चे भविष्य में खुद को दूसरों बच्चों से कमजोर समझ सकते हैं। जिससे उनके मन में बाकी बच्चों के प्रति ईर्ष्या की भावना आ सकती है।
भाई-बहन-एक रिसर्च के अनुसार, 5 साल तक की उम्र के लगभग 40 लाख बच्चे अपने भाई-बहन को अपना प्रतिद्वंदी मानते हैं। स्कूल के साथ ऐसे बच्चे घर पर भी अपने आपको बेहतर साबित करने के प्रयास में लगे रहते हैं। जिसकी वजह से उनके बीच ईर्ष्या की भावना या लड़ाई-झगड़े हो सकते हैं।  
जरूरत से ज्यादा लाड़-प्यार-ओवर पैम्पर्ड बच्चा खुद को असुरक्षित महसूस कर सकता है। इस वजह से उसमें नए बच्चे या उस नए सदस्य के प्रति जलन की भावना उत्पन्न हो सकती है।
ईर्ष्यालु बच्चे के लक्षण-
-बच्चे का अपने भाई-बहन या दूसरे बच्चे से नाराज रहना।
-सिबिलिंग की देखभाल होते देख बच्चे का मन उदास हो जाना।
-बच्चे का दूसरे बच्चे के व्यवहार की तरह नकल करना।
बच्चे को ईर्ष्या करने से बचाने के टिप्स--माता-पिता को जब भी समय मिले, अपने बच्चों से बात जरूर करें। ऐसा करने से बच्चे और पेरेंट्स के बीच दोस्ताना व्यवहार बनेगा और बच्चे के मन से ईर्ष्या की भावना दूर होगी।
-खेलने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। जब भी समय मिले पेरेंट्स बच्चों को आउटडोर या इनडोर गेम्स खेलने में मदद करें।
-घर में हर बच्चे के साथ समानता का व्यवहार करें। उदाहरण के लिए, खिलौने, कपड़े या अन्य वस्तुएं बच्चों में बराबर मात्रा में ही बांटें।