गड्ढों में सड़क और सपना सिंगापुर का





आर.के.श्रीवास्तव

वैढ़न,सिंगरौली। उद्योगों की दृष्टि से पॉवर हब बना सिंगरौली जिले में पहुंच मार्गों की हालत देखी जाये तो जिले के विकास की अवधारणा पर    प्रश्न चिन्ह उठता है। सिंगरौली से गोरबी जाना हो तो समझ में नहीं आता कि गड्ढों मे सड़क है कि सड़क पर गड्ढे हैं। यदि किसी यात्री को गोरबी होकर बरगवां जाना हो तो रास्ते पर कई स्थानों पर जिन्दगी और मौत का सवाल खड़ा होता है। यही हाल सिंगरौली से अनपरा जाने का भी है। मशीनों से सड़क निर्माण हो रहा है लेकिन इसकदर खुदाई करके गड्ढा बनाया जा रहा है कि सड़क की शक्ल बदल जाती है। मजे की बात यह है कि मशीन चलाकर गड्ढा तो खोद दिया जाता है उसके बाद महीनों ठेकेदार के दर्शन नहीं होते। सिंगरौली से जयंत आने वाला मुख्य मार्ग इन दिनों काफी चर्चित है। इस सड़क पर सिर्फ भारी वाहनों की गिनती की जाती है जो अनुमानत: प्रतिदिन पांच सौ भारी वाहन आवागमन करते हैं। लाईट वेहिकील और बाइक सवारों की तो कोई गिनती ही नहीं है। सड़क की हालत यह है कि यदि आप गड्ढों की तरफ ध्यान दें तो वाहन की तरफ ध्यान हट जाता है। यदि सामने से आते वाहन पर ध्यान दें तो आपकी गाड़ी गड्ढे में कूद जाती है। यह कहानी कई वर्ष से चल रही है। जयंत से लगभग बीस किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह सड़क अब तक दर्जनों निर्दोष लोगों की जाने ले चुकी है। सड़क पर निर्दोश के मरने के बाद जिला प्रशासन पहुंचता है और राहत राशि, मुआवजा तय करके कर्तव्यों की इतिश्री कर ली जाती है। प्रदूषण की हालत तो यह है कि सड़क मार्ग को बाइक से तय कर लेने के बाद आपका सगा संबंधी ही एकबारगी देखकर पहचानने से इंकार कर सकता है। जयंत से सिंगरौली जाने वाली दुर्घटनाप्रवीण सड़क को बनवाने में न तो जिला प्रशासन की दिलचस्पी है और ना ही एनसीएल प्रबंधन ही अपने को जिम्मेदार मानता है।