शिवसेना ने कांग्रेस के जी-23 धड़े को बताया सड़ा हुआ आम, गांधी परिवार के बचाव में उतरी



मुंबई. शिवसेना ने मुखपत्र सामना के जरिए कांग्रेस के जी-23 धड़े पर निशाना साधा है. महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार की साझेदार शिवसेना अपने सहयोगी गांधी परिवार के बचाव में उतरी है. बता दें कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ जी-23 धड़े के नेताओं ने एक बार फिर मोर्चा खोल रखा है. ऐसे में शिवसेना मुखर तौर पर गांधी परिवार के बचाव में उतरी है. शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में लिखा, गांधी नेतृत्व छोड़ें यह ठीक, लेकिन कांग्रेस को आगे ले जाने वाला, जीत दिलाने वाला नेता कपिल सिब्बल के जी-23 गुट में है क्या? कांग्रेस की थाली और कटोरी में खा-पीकर कई बार डकार लेकर स्वस्थ हुए नेता जी-23 में हैं और कांग्रेस की पराजय पर वे विलाप कर रहे हैं. इनमें से कितने नेता पांच राज्यों के चुनाव में जमीन पर उतरे थे? कितनों ने प्रत्यक्ष रूप से प्रचार में खुद को झोंक दिया था?

शिवसेना ने आगे लिखा है, गुलाम नबी, कपिल सिब्बल और 23 कैरेट के नेता पारिवारिक भागदौड़ में एन्जॉय कर रहे थे और मन-ही-मन कांग्रेस की असफलता की मनोकामना कर रहे थे. जी-23 का समूह सड़ा हुआ आम है. सामना में लिखे अपने लेख में शिवसेना ने कहा, अब कांग्रेस पार्टी को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो युवाओं में नई गति और नया विचार पैदा करे. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का संगठन और कार्यकर्ता नहीं रहे. चुनाव लडऩे के कौशल और प्रबंधन के मामले में कांग्रेस में सूखा पड़ गया है. उत्तराखंड में कांग्रेस ने फिर से हरीश रावत जैसे पुराने नेता को बागडोर सौंपकर भाजपा को आगे के लिए गति दे दी.वहीं, अमरिंदर ने सीधे भाजपा से हाथ मिला लिया, लेकिन अमरिंदर को मनाने के लिए जी-23 के कितने लोग आगे आए? गोवा में स्थानीय कांग्रेसी नेताओं के पैर जमीन पर नहीं थे. कांग्रेस पार्टी का संगठन जर्जर हो चुका है, जनता को पार्टी के प्रति आकर्षण महसूस हो, ऐसा कुछ भी नया नहीं हो रहा है. शिवसेना के मुताबिक, केवल गांधी परिवार ही एकमात्र बल स्थान नहीं रह गया है. कांग्रेस की जड़ें सूख गई हैं और वृक्ष पत्ता विहीन हो गया है. कांग्रेस जैसी पार्टी आज भी परंपराओं की श्रृंखलाओं और पुरानी जटिलताओं में अटकी हुई है. पत्ते अंकुरित हो, बहार आएं और वातावरण ताजा हो ऐसा किसी को मन से लगता है तो वृक्षों की पूरी छंटाई कर नया बगीचा तैयार करना होगा.शिवसेना के मुताबिक हिजाब जैसे मामले खोदकर, कश्मीर फाइल्स फिल्म का प्रोप रचना जैसे मुद्दे कांग्रेस या अन्य पाटिर्यों को अब जमने चाहिए. कश्मीरी पंडितों के पलायन के पीछे का सत्य कुछ और ही है. केंद्र में भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी और कश्मीर में भाजपा के प्रिय जगमोहन राज्यपाल थे, तब पंडितों को पलायन करना पड़ा. यह सत्य सामने लाने में भाजपा विरोधी कमजोर पड़ रहे हैं.