1951-52 के बाद सबसे ठंडा था यह साल
नई दिल्ली। मौसम विभाग के अनुसार, यह साल 1951-52 के बाद अधिकतम तापमानों में कमी के लिहाज से सबसे ठंड वाला साल था। इस साल मौसम में कई तरह की तब्दीलियां आईं जो जलवायु परिवर्तन के प्रतिकुल परिणामों का संकेत दे रही है। इस साल सर्दी में औसत वर्षा ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। 30 में से 11 राज्यों में औसत से भारी बारिश ने अधिकतम तापमान को औसत से कम करने में मदद दी।मौसम के इस पूरे मामले पर अंतरसरकारी पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने 28 फरवरी को अपनी छठी मूल्यांकन रिपोर्ट का दूसरा भाग जारी किया है। इस रिपोर्ट में जलवायु संकट के व्यापक और जटिल प्रभावों का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस साल सर्दी के पैटर्न में कुछ ऐसे बदलाव देखे गए, जो 1951-52 के बाद पहली बार थे।भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के डाटा के अनुसार, अधिकतम तापमान के लिहाज से यह साल 1951-52 के बाद सबसे अधिक सर्दी वाला साल था। आईएमडी ने बताया कि कि ठंड में यह रिकॉर्डतोड़ बदलाव बड़े पैमाने पर बेमौसम बारिश का परिणाम था।इस मौसम में 27 फरवरी तक भारत में औसत अधिकतम तापमान 24.29 डिग्री सेल्सियस रहा। 1981-2010 की अवधि में दिसंबर-फरवरी के मौसम में यह औसत तापमान से 1.51 डिग्री कम था. इस लिहाज से देखें तो 1951-52 के बाद यह सबसे ठंड वाला साल रहा। इससे पहले 1983-84 में अधिकतम तापमान सामान्य से 1.15 डिग्री कम था। इस सर्दी में कोई भी दिन ऐसा नहीं था जिस दिन अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहा हो। दिसंबर में औसत तापमान 1.2 डिग्री था जो सामान्य से 4.7 डिग्री कम रहा। तापमान में यह परिवर्तन बेहद असमान्य था क्योंकि पिछले कुछ सालों से भारत में सर्दियों का तापमान ऐतिहासिक रूप से बढ़ रहा है। हालांकि न्यूनतम तापमान में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला। इस बार न्यूनतम तापमान औसत 11.95 डिग्री सेल्सियस पर कायम रहा जो सामान्य से से केवल 0.01 डिग्री कम था। इस तरह देखें तो 71 वर्षों में यह केवल 30 वां सबसे ठंडा तापमान था।आईपीसीसी के मुताबिक अधिकमत तापमान में यह गिरावट आमतौर पर बेमौसम बारिश के कारण दर्ज किया गया। बारिश के कारण बादल आसमान में सूरज की रोशनी को अवरुद्ध करते हैं और दिनों को गर्म होने से रोकते हैं। यही कारण है इस साल अधिकतम तापमान औसत से रिकॉर्ड स्तर पर कम रहा। ऐसा नहीं है कि सर्दियों में बारिश नहीं होती है। लेकिन 2021-22 की सर्दियों में इतनी ज्यादा और इतनी जल्दी-जल्दी बारिश हुई कि बादलों ने आसमान को घेरे रखा।