120 टन छमता वाला होलपैक डम्पर एनसीएल दुद्धिचुआ परियोजना में जलकर हुआ खाक



काल ङ्क्षचतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। एनसीएल परियोजना के खदानों में आए दिन हो रहे घटनाओं को लेकर एनसीएल प्रबंधन सकते हैं। हैरत की बात तो यह है कि खदानों में बार बार हो रही दुर्घटनाओ का कारण स्पष्ट  न हो पाना, कही न कही जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो रहा है। बतादें कि दुद्धिचुआ परियोजना के खदान एरिया में, ईस्ट टाइम ऑफिस के पास आज सुबह लगभग 9:20 बजे 120 टन क्षमता वाला होलपैक डम्पर नंबर डी 221 जलकर खाक हो गया। आग लगने से खदान में हड़कंप मच गया। किसी तरह ऑपरेटर कूद कर अपना जान बचाया। बताते हैं कि ऑपरेटर हमेशा की तरह पार्किंग में डम्पर खड़ा कर नास्ता के लिये नीचे उतर रहा था, कि  देखा सामने अचानक बोनट से आग भड़की,और ऑपरेटर कुछ कह सुन पता कि देखते ही देखते आग की लपटों ने बिकराल रूप धारण कर लिया। जिसे देख लोगों में अफरातफरी मच गई।  आनन फानन में मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने फायर ब्रिगेड को सूचित किया, फायर बिग्रेड पहुँचते ही सीआईएसएफ जवानों के कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू तो पा लिया गया, लेकिन तब तक आधे से ज्यादा डम्पर का हिस्सा जलकर खाक हो चुका था। उक्त डम्पर के जलने से एनसीएल को लाखों का नुकसान हुआ है। जानकारी के लिए बतादे की खदान में होने वाली यह घटना कोई पहली बार नही है वल्कि इसके पहले भी कई बार खदानों में घटनाएं हो चुकी हैं। जानकारों की माने तो एनसीएल परियोजना के खदानों में सुरक्षा मानकों पर ध्यान नही दिया जा रहा है, जिसका परिणाम है की खदानों में आए दिन घटनाएं दर घटनाएं होती जा रही हैं। इसके पहले इसी तरह बीना खदान में 100 टन छमता वाला होलपैक डम्पर जलकर खाक हो गया था। जिसे बैट्री में शॉर्ट सर्किट होना करार दिया गया। इतना ही नही देखा जाय तो इस तरह की घटनायें खदानों में अब आम हो गई है।  बीना,ककरी, खड़िया,दूधिचुआ,जयंत  अमलोरी परियोजना के खदानों में अब तक कई घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें सेफ्टी व सुरक्षा के मानकों को लेकर एनसीएल के कोयला खदानों में प्रबंधन की घोर लापरवाही उजागर हुई हैं। फिर भी इनके सेहत पर कोई असर नही पड़ रहा। जबकि सुरक्षा व सेफ्टी के नाम पर प्रबंधन खदानों में पखवाड़ा अभियान चलाकर लाखों रुपये खर्च करता है। इसके बावजूद भी खदानों में लाखों करोड़ों की संपत्ति जल कर खाक हो रही हैं। यह गंभीर व चिंतनीय विषय हैं...?