गन्नई मे चल रहा संगीतमय श्रीमद भगवत कथा, धूमधाम से मना श्री कृष्ण जन्मोत्सव




काल चिंतन संवाददाता

सरई,सिंगरौली। गन्नई केशरवानी परिवार की ओर से बुलाये गये कथा व्यास द्वारा चल रही भागवत कथा, परमपूज्य श्री संदीप मिश्रा जी महराज कथा वाचक ने चौथे दिन भागवत कथा में भगवान के जन्मोत्सव को लेकर आयोजक द्वारा मंच को फूलों की माला और गुब्बारों से विशेष रूप से सजावट की गई। इस विशेष दिन को लेकर श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ रही। कथा व्यास  मिश्र जी महराज ने भगवान श्री कृष्ण की जन्म कथा सुनाते हुए कहा कि बाल गोपाल का जन्म देवकी और वासुदेव के आठवें संतान के रूप में होता है। देवकी व वासुदेव का अर्थ समझाते हुए कहा कि देवकी यानी जो देवताओं की होकर जीवन जीती है। और वासुदेव का अर्थ है जिसमें देव तत्व का वास हो। ऐसे व्यक्ति अगर विपरीत परिस्थितियों की बेड़ियों में भी क्यों न जकड़े हो, भगवान को खोजने के लिए उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता है। बल्कि भगवान स्वयं आकर उसकी सारी बेड़ी-हथकड़ी को काटकर उसे संसार सागर से मुक्त करादिया करते हैं। हर मनुष्य के जीवन में छह शत्रु हैं, काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ व अहंकार। जब हमारे अंदर के ये छह शत्रु समाप्त हो जाते हैं तो सातवें संतान के रूप में शेष जी जो काल के प्रतीक हैं वो काल फिर मनुष्य के जीवन में आना भी चाहे तो भगवान अपने योग माया से उस काल का रास्ता बदल देते हैं। तब आठवें संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण का अवतार होता है। जिसके जीवन में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति आ गई तो ऐसा समझना चाहिए कि जीवन सफल हो गया।  कथा में मुख्य भक्त त्रिभुवन दास केशरी व उनकी धर्मपत्नी जी, व गणेष, अरविंद तिवारी, आनंद तिवारी, आशिष केशरी, रामचंद, बिजेद्र अग्रहरि, बंशबहादुर सिंह, जितेंद अग्रहरि, आशिष व हजारो श्रोता आदि शामिल रहे।