मोहिनी महिलाओं का वैढ़न में चल रहा सक्रिय रैकेट



लोक हतप्रभ, प्रशासन निष्कृय

काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौल। सिंगरौली जिले में ग्रामीण अंचल से लेकर शहरी कस्बाई अंचल तक तथाकथित मोहिनी महिलाओं का एक ऐसा रैकेट संचालित है जो पहले तो पुरूषों को दयनीय अवस्था में मिलते हैं और बाद में वे रणचंडी बन जाते हैं। पुरूषों के पाले की गेंद क्षण भर में महिलाओं के पाले में हो जाते हंै। यानि एक निरीह महिला को सड़क से उठाकर उसके बताये गंतव्य तक पहुंचाने के लिए अगर आपने लिफ्ट दी तो आप गये काम से। पिछले दिनों एक समाजसेवी ने ऐसा ही किया था, वह आजतक दुर्घटना एवं मुकदमा का दंश झेल रहा है। इन महिलाओं का कुकृत्य यह होता है कि पहले यह पुरूषों से अपनी परेशानियां बताकर संबंध स्थापित करती हैं उनके साथ चलती फिरती हैं उनसे मिलती हैं, उनके साथ चाय और काफी पीती हैं। फिर स्वेच्छा से समर्पित हो जाती हैं। इसके बाद खेल शुरू होता है। बलात्कार, छेड़छाड़ के मुकदमें कायम होते हैं और हाथ पर हाथ धरी पुलिस मुकदमा कायम करती है। 

 ऐसे कई प्रकरण ताजा-ताजा सामने आये हैं जिसमें गरीब तबके की महिलाओं ने उच्च तबकों के पुरूषों से विवाह किया। विवाह करने के बाद दहेज प्रताड़ना जैसा मामला सामने आया। रिपोर्ट हुयी कि उनके साथ मारपीट की जाती है और दहेज मांगा जाता है। शरीफ तबके के पुरूष हारे थके पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों में चक्कर लगाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। सच्चाई की यदि पैरवी की जाये तो पैरवीकार के खिलाफ भी झूठी रिपोर्ट हो जाती है क्योंकि तथाकथित महिलाओं का अभिष्ट यह होता है कि उन्हें मनचाहा धन मिले। उसमें रोड़ा अटकाने वालों के खिलाफ भी फर्जी रिपोर्ट हो जाती है। हवाला यह दिया जाता है कि देश के सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि दहेज प्रताड़ना या बलात्कार के मामलों में महिला का बयान ही काफी होता है। यह सच्चाई है कि देश में दहेज प्रताड़ना एवं रेप की बहुत सी घटनाएं घट रही हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के मुताबिक गेहूं से बहुत से घून भी पिस रहे हैं। जिले के बुद्धिजीवियों का मानना है कि ऐसे मामलों में पुलिस को चाहिए कि वह तह तक जाये और मामले की सच्चाई को पता करके ही मुकदमा कायम करे।