पुरुषों को महिलाओं की तुलना में आती है गहरी नींद





नई दिल्ली। एक्सप्लोरिंग सेक्स एंड जेंडर डिफरेंस इन स्लीप हेल्थ: ए सोसाइटी फॉर विमेन हेल्थ रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों और महिलाओं में सर्वोत्तम नींद के घंटे अलग-अलग होते हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महिलाओं में अनिद्रा की संभावना 40 प्रतिशत अधिक होती है, साथ ही पुरुषों को महिलाओं की तुलना में गहरी नींद आती है। डॉ सिबाशीष डे, चिकित्सा मामलों के प्रमुख, एशिया और लैटिन अमेरिका, रेसमेड, स्टडी से सहमत हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अधिक नींद की आवश्यकता क्यों है, ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में खराब नींद के मामले अधिक होते हैं। इसके पीछे महिलाओं का मल्टीटास्किंग होना बताया गया है।

डॉ डे ने बताया कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में थोड़ी अधिक नींद आती है, लगभग 11-13 मिनट अधिक, लेकिन पुरुषों की नींद अधिक गहरी होती है। पुरुषों की तुलना में महिला अपनी दिनचर्या में अधिक व्यस्त होती हैं। फिर चाहे बात वर्किंग वुमन की हो या हाउसवाइफ की। घर में सबसे पहले उठने से लेकर बच्चों की देखभाल बच्चों, पति और घर के अन्य सदस्यों का टिफिन और नाश्ता इसके अलावा घर में आए मेहमान की नवाजी से लेकर खुद के भी तमाम काम की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर ही होती है। पर्याप्त नींद की कमी उन पर शारीरिक और मानसिक रूप से हानिकारक प्रभाव डालती है जिससे उन्हें सिर दर्द और तनाव होने लगता है।रिपोर्ट के अनुसार नींद की कमी से महिलाओं में उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह, दिल का दौरा, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्या का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा महिलाओं पर पीरियड्स, गर्भावस्था और मेनोपॉज के दौरान भी होने वाले हार्मोनल बदलाव के गंभीर दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं।

सात से आठ घंटे की नींद लेने वाली महिलाओं की तुलना में सात घंटे से कम नींद लेने वाली महिलाओं में गर्भधारण की संभावना 15 प्रतिशत कम होती है। वैसे तो नींद की आवश्यकता हर व्यक्ति में अलग होती हैं, लेकिन स्टडी के अनुसार, महिलाओं को उनकी जीवनशैली, फिटनेस, अनेक जिम्मेदारियों और हार्मोनल परिवर्तन के कारण नींद की भरपाई के लिए पुरुषों की तुलना में 20-30 मिनट अतिरिक्त नींद की आवश्यकता होती है। गर्भावस्था के दौरान बढ़े हुए पेट से डायफ्रॉम पर दबाव पड़ता है, जिससे पेशाब में वृद्धि होती है, गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी), और रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (जिसमें लेटते समय पैरों को हिलाना) जैसी समस्या महिलाएं अनुभव करती हैं। तीसरी तिमाही में आराम से सोना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, महिलाओं को अच्छी नींद लेने के तरीके खोजने की कोशिश करनी चाहिए। रिसर्च ने साबित कर दिया है कि अपर्याप्त नींद गर्भवती महिलाओं में प्रीक्लेम्पसिया, उच्च रक्तचाप, गर्भकालीन मधुमेह, जैसी समस्या होने की संभावना अधिक होती है। यह उन महिलाओं में देखने को मिलता है जो 24 घंटे में छह घंटे से कम नींद लेती हैं।

शोध ने साबित किया है कि रात में 1 घंटे की नींद की कमी से उबरने में हमारे शरीर को चार दिन लगते हैं। एक अच्छी नींद के लिए रात 10 बजे से सुबह 7 बजे के बीच सोने की कोशिश करें, और सुनिश्चित करें कि आप नियमित रूप से कम से कम सात घंटे की आरामदायक नींद लें। दिन के दौरान झपकी लेने से बचें, और इस दौरान कैफीन, शराब और निकोटीन के सेवन से बचें। रात में हेवी फूड से बचें और रात के खाने के बाद थोड़ी देर टहलें। इसके अलावा, सोने से ठीक पहले ढेर सारा पानी पीने से बचें, ताकि बार-बार पेशाब के लिए उठना न पड़े। अपने बेडरूम में शांति और अंधेरा करके सोएं।