जलवायु परिवर्तन से पूरी दुनिया प्रभावित, निपटने के लिए होने चाहिए प्रयास: पीएम मोदी



नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी ने क्लाइमेट चेंज रिसर्च फैसिलिटी ऑन प्लांट प्रोटेक्शन का भी उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आज, ग्रह संरक्षण और तीव्र पीढ़ी उन्नति सुविधा पर जलवायु परिवर्तन अनुसंधान सुविधा का भी उद्घाटन किया गया है। ये शोध सुविधाएं जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कृषि की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज हैदराबाद में हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने इंटरनेशनल इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर द सेमी-अरिड टॉपिक्स के स्वर्ण जयंती समारोह में ढ्ढष्टक्रढ्ढस््रञ्ज के विशेष लोगो को लॉन्च किया। साथ ही साथ उन्होंने डाक टिकट भी लॉन्च किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 50 साल एक बहुत बड़ा समय होता है और इस 50 साल की यात्रा में जब जब जिस जिस ने जो जो योगदान दिया है, वे सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। इस काम को आगे बढ़ाने के लिए जिन जिन लोगों नें प्रयास किया है, मैं उनका भी अभिनंदन करता हूं। उन्होंने काह कि आपके पास 5 दशकों का अनुभव है। इन 5 दशकों में आपने भारत सहित दुनिया के एक बड़े हिस्से में कृषि क्षेत्र की मदद की है। आपकी रिसर्च, आपकी टेक्नॉलॉजी ने मुश्किल परिस्थितियों में खेती को आसान और सस्टेनेबल बनाया है।नरेंद्र मोदी ने क्लाइमेट चेंज रिसर्च फैसिलिटी ऑन प्लांट प्रोटेक्शन का भी उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आज, ग्रह संरक्षण और तीव्र पीढ़ी उन्नति सुविधा पर जलवायु परिवर्तन अनुसंधान सुविधा का भी उद्घाटन किया गया है। ये शोध सुविधाएं जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कृषि की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन की चपेट में है और इससे निपटने के लिए प्रयास होने चाहिए। उन्होंने काह कि जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न प्राकृतिक आपदाएँ और परिस्थितियाँ एक बड़ी चुनौती रही हैं। यह मानव और बुनियादी ढांचे दोनों को प्रभावित करता है। हमारी सरकार ने इस तरह के बुनियादी ढांचे के लिए एक वैश्विक संस्थान शुरू किया है और आज हम कृषि के लिए भी इसी तरह के एक संस्थान का उद्घाटन कर रहे हैं।मोदी ने कहा कि भारत में 15 ्रद्दह्म्श-ष्टद्यद्बद्वड्डह्लद्बष् र्ंशठ्ठद्गह्य हैं। हमारे यहां, वसंत,  ग्रीष्म,  वर्षा,  शरद,  हेमंत और शिशिर, ये 6 ऋतुएं भी होती हैं। यानि हमारे पास एग्रीकल्चर से जुड़ा बहुत विविध और बहुत प्राचीन अनुभव है। हमारा फोकस देश के उन 80 प्रतिशत से ज्यादा छोटे किसानों पर है, जिन्हें हमारी सबसे ज्यादा जरूरत है। इस बजट में भी प्राकृतिक खेती और डिजिटल एग्रीकल्चर पर काफी जोर दिया गया है। आज हम पूरे भारत में लगभग 170 जिलों को सूखा रोधी समाधान प्रदान कर रहे हैं। हमारा ध्यान बैक टू बेसिक्स और मार्च टू फ्यूचर के फ्यूजन पर है ताकि हमारे किसानों को जलवायु परिवर्तन से बचाया जा सके। हमारा फोकस देश के उन 80 प्रतिशत से ज्यादा छोटे किसानों पर है, जिन्हें हमारी सबसे ज्यादा जरूरत है। इस बजट में भी प्राकृतिक खेती और डिजिटल एग्रीकल्चर पर काफी जोर दिया गया है।

मोदी ने कहा कि बदलते हुए भारत का एक महत्वपूर्ण पक्ष है- डिजिटल एग्रीकल्चर। ये हमारा फ्यूचर है और इसमें भारत के टेलेंटेड युवा, बहुत बेहतरीन काम कर सकते हैं। डिजिटल टेक्नॉलॉजी से कैसे हम किसान को द्गद्वश्चश2द्गह्म् कर सकते हैं, इसके लिए भारत में प्रयास निरंतर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बजट में प्राकृतिक खेती और डिजिटल एग्रीकल्चर पर अभूतपूर्व बल दिया गया है। एक तरफ हम मोटे अनाज का दायरा बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं, केमिकल फ्री खेती पर बल दे रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सोलर पंप से लेकर किसान ड्रोन तक आधुनिक टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित कर रहे हैं। हम द्घशशस्र ह्यद्गष्ह्वह्म्द्बह्ल4 के साथ-साथ ठ्ठह्वह्लह्म्द्बह्लद्बशठ्ठ ह्यद्गष्ह्वह्म्द्बह्ल4 पर फोकस कर रहे हैं। इसी विजन के साथ बीते 7 सालों में हमने अनेक ड्ढद्बश-द्घशह्म्ह्लद्बद्घद्बद्गस्र 1ड्डह्म्द्बद्गह्लद्बद्गह्य का विकास किया है।