ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में हिंडालको महान बन रहा है मिशाल



जल्द हिंडालको महान का 35 मेगावाट का सोलर प्लांट  से बनेगी बिजली,नई तकनीकी के प्रयोग से हर दिन बचा रहा है एक टन कोयला

काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौली। ऊर्जा बचाने की जिम्मेदारी एक आदमी से लेकर हर संस्थानों की है ,जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ऊर्जा का प्रयोग करते हैं, देश मे प्राकृतिक संसाधनों के सीमित मात्रा है,और लगातार ,इसका दोहन होता रहा तो आने वाले वक्त में ऊर्जा संकट का सामना करनापड़ सकता है,14 दिसंबर से उर्जा संरक्षण के रूप में कई माह तक इससे संबंधित कार्यक्रम और कार्यशाला का आयोजन पूरे देश मे मनाया जाता है ,किंतु कोरोनकाल को देखते हुये हिंडालको महान के सभी कार्यक्रम फरवरी माह में आयोजित किये जा रहे हैंजिसमे प्रश्नोत्तरी,सुझाव मंच,स्लोगन,प्रतियोगिताका आयोजन किया गया जिसमें 800 से ज्यादा प्रतिभागियो ने भाग लिया,ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र मे हिंडालको महान के कंपनी प्रमुख रतन सोमानी ने बताया कि ,ऊर्जा संरक्षण एक बड़ी आवश्यकता है जो हमारे भविष्य की भलाई के लिए आवश्यक है। यह एक प्रथा है कि सभी को अपनी धरतीके भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए इसमें शामिल होना चाहिए। राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने का एजेंडा ऊर्जा और संसाधन संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ऊर्जा के संरक्षण का अर्थ है ऊर्जा का अंधाधुंध दुरुपयोग करने के बजाय बुद्धिमानी से उसकाउपयोग करना है, और हिंडालको महान इसके लिये कृत संकल्पित है लगातार कोयले की उपयोगिता को कम करने में सफल रहा है और प्रति दिन कोयले की एक टन खपत कम करने में सफल हुआ है,वही कंपनी के स्मेल्टर हेड सेन्थिलनाथ ने बताया कि पार्टरूम की टेक्नलॉजी अपग्रेड करने से हम कार्बनउत्सर्जन की मात्रा को कम करने में सफल हुये हैं और प्रतिदिन तीन लाख पचास हज़ार टन कार्बन डाइऑक्साइड कम उत्सर्जन किया है जिससे बिजली की खपत भी कम हुई है जो पर्यावरण की दृष्टि से अच्छी पहल है ,वही कास्ट हाउस  प्रमुख संजय चतुर्वेदी ने कहा कि जल्द ही हिंडालको महानका 35 मेगावाट सौर ऊर्जा प्लांट से बिजली का उत्पादन शुरू हो जायेगा और जल्द ही प्लांट में फ्लोटिंग सोलर के और कई नये सोलर पैनल लगाये जायेंगे जिससे अत्याधिक सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जा सके और कोयले पर निर्भरता कम किया जा सके , जल्द शुरू होने वाले सोलर प्लांटसे बर्तमान में बन रही बिजली का 6 प्रतिशत बिजली सोलर पर आधारित होगी जिससे 6 प्रतिशत कम कॉर्बन का उत्सर्जन होगा साथ ही जल संरक्षण भी होगा वही हम बताना चाहेंगे कि एक यूनिट बिजली की बचत से ढाई लीटर पानी की बचत होती है ।