...और अब एनटीपीसी की उड़न राख की तबाही





नियमों को तॉक पर रखकर हो रहा राख का ट्रांसपोर्टेशन
काल चिंतन कार्यालय
वैढ़न,सिंगरौली। एनसीएल की कोयला खदानों के ओबी से उड़ने वाली डस्ट, कोयले के ट्रांसपोर्टेशन के दौरान वायुमंडल में समर्पित हो रहे कोल पार्टिकल्स और एनटीपीसी एवं अन्य पॉवर प्लांटों की चिमनियों से उत्सर्जित हो रही राख का कहर तो ऊर्जांचलवासी दशकों से झेल रहे हैं। सिंगरौली का आकाश इनके द्वारा उत्सर्जन से लबालब भर चुका है। अब क्या बाकी था कि एनटीपीसी की ऐश डैक से उड़न राख का ट्रांसपोर्टेशन किया जा रहा है। बिजली उत्पादन से पैदा होने वाली उड़न राख ऊर्जांचल सिंगरौली क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी समस्या है। इस समस्या से निजात पाने के लिए सरकार तथा एनटीपीसी प्रबंधन ने एक युक्ति सोंची कि क्यों न निर्माण कार्यों में इसका प्रयोग किया जाये। युक्ति तो अच्छी थी लेकिन उसका क्रियान्वयन चिर परिचित अंदाज से किया गया। नतीजा सामने है कि चिमनी की राख, ओबी की डस्ट और कोयले के पार्टिकल से जो गांव त्रस्त थे उनके प्रदूषण में और इजाफा हो गया। जिन रास्तों से यह राख खुली गाड़ियों में भरकर परिवहन की जा रही है उन रास्तों में पड़ने वाले गांव, कस्बे, बाजार क्षेत्रों में नयी ताजी तबाही आ गयी है। उदाहरण के तौर पर एनटीपीसी सिंगरौली के खड़िया योगीचौरा ऐश डैक से राख के ट्रांसपोर्टेशन को लेें तो स्थिति स्पष्ट नजर आयेगी। है क्या कि ऐश डैक से खुली ट्रकों में राख को भरा जाता है अब भरते समय जो राख उड़ती है वायुमंडल में जाती है और हवा के सहारे पूरे ऊर्जांचल क्षेत्र के आसमान पर छा जाती है, धीरे धीरे नीचे उतरती है और लोगों के घरों में समाहित होती है। खड़िया योगीचौरा के ऐश डैक से राख लोड करके खुले वाहन योगीचौरा, भैरवा, कोहरौल, मर्रख आदि गांवों से गुजरते हुये बीना, ककरी, अनपरा होते हुये एनएचआई रिंग रोड यानि बनारस तक पहुंचते हैं। बीच में पड़ने वाले जितने गांव और कस्बे हैं। ये वाहन उन कस्बों और गांवों को राख से नहलाते हुये जाता है। स्थानीय लोगों ने काफी शिकायतें कीं लेकिन नक्कारे में तूती की आवाज ही साबित हुयी। 
ग्राम योगीचौरा तहसील दुद्धी, जनपद सोनभद्र के निवासी श्री राजकुमार दुबे ने लगातार लिखित पत्र व्यवहार किया। उन्होने जिलाधिकारी सोनभद्र, मुख्य पर्यावरण अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उ.प्र. को लिखित शिकायत की। बार बार शिकायत करने के बाद उत्तर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने उनकी शिकायतों को संज्ञान में लिया और उन्होने एनटीपीसी सिंगरौली सुपर थर्मल पावर स्टेशन शक्तिनगर के चीफ जनरल मैनेजर को पत्र लिखते हुये निर्देशित किया। उन्होने पत्र में लिखा कि एनटीपीसी को चाहिए कि ऐश डैक से ऐश लोडिंग के समय उड़ने वाले ऐश पार्टिकल्स को रोकने के लिए लोडिंग प्वाइंट पर वाटर स्पिं्रक्लर की व्यवस्था की जाये तथा लोडिंग के समय उक्त व्यवस्था संचालित रखी जाये ताकि ऐश न उड़े। बोर्ड ने निर्देशित किया कि एनटीपीसी द्वारा ऐश ट्रांसपोर्टेशन में सदैव क्लोज्ड कंटेनर/क्लोज्ड ट्रक का ही प्रयोग किया जाये। बोर्ड ने निर्देशित किया कि ऐश डैक एरिया में ऐसी कोई गतिविधियां न अपनायी जाये जिससें कि राख उड़े और आस-पास के पर्यावरण एवं जनस्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े। बोर्ड ने कहा कि उक्त निर्देशों के अनुपालन नहीं किये जाने की दशा में संबंधित उद्योग के विरूद्ध प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिनियम में वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही प्रारंभ कर दी जायेगी। उक्त पत्र ७-८/२०२० को जारी किया गया था। बताते चलें कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उ.प्र. द्वारा जो नियम व शर्तें बतायी गयीं उसका अनुपालन एनटीपीसी प्रबंधन ठेकेदारों से नहीं करवा पा रहा है। जिससे कि गांव के गांव तो तबाह ही हो रहे हैं ऊर्जांचल का पूरा वायुमंडल गंदा हो रहा है और प्रदूषण में दिनोदिन इजाफा हो रहा है।