राज्यसभा में बरसे पीएम मोदी- कांग्रेस न होती तो इमरजेंसी का कलंक न होता, सिखों का नरसंहार न होता



नई दिल्ली. संसद में बजट सत्र के 7वें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने अपने शब्दों से कांग्रेस पर जमकर प्रहार किया. उन्होंने राज्यसभा में कहा, अगर महात्मा गांधी के इच्छानुसार कांग्रेस न होती तो इमरजेंसी का कलंक न होता, सिखों का नरसंहार न होता, लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता. लोकतंत्र और बहस भारत में सदियों से चल रहा है और कांग्रेस की परेशानी यह है कि परिवारवाद के आगे उन्होंने कुछ सोचा ही नहीं.पीएम मोदी ने कहा, भारत के लोकतंत्र को सबसे ज्यादा खतरा परिवारवादी पार्टिंयों से है. इसमें सबसे पहली कैजुअल्टी टेलेंट की होती है. उन्होंने कहा कि संसद में कहा गया कि कांग्रेस न होती तो क्या होता, इसका जवाब मैं देता हूं. महात्मा गांधी की ही यह इच्छा थी. अगर उनकी इच्छा के अनुसार अगर कांग्रेस न होती तो आज लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता. पंजाब सालों तक आतंकवाद की आग में नहीं जलता, कश्मीरी पंडितों को कश्मीर नहीं छोड़ना पड़ता. कांग्रेस नहीं होती तो बेटियों को तंदूर में फेंकने की घटना नहीं होती.राज्यसभा में जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यूपीए काल से महंगाई की तुलना करें तो पता चलेगा महंगाई क्या होती है. उन्होंने कहा कि यूपीए काल में महंगाई दहाई अंक में थी. अगर अमेरिका की तुलना करें तो भारत में महंगाई कम ही है. हम महंगाई को रोकने की हर संभव कोशिश कर रह रहे हैं.राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस कोरोना काल में 80 करोड़ से भी अधिक देशवासियों के लिए इतने लंबे कालखंड के लिए मुफ्त में राशन की व्यवस्था की गई, ताकि ऐसी स्थिति कभी पैदा न हो कि उनके घर का चूल्हा न जले. भारत ने ये काम करके दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है.पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के दौरान 5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं.पीएम मोदी ने रोजगार के बारे में बात करते हुए कहा कि साल 2021 में एक करोड़ 20 लाख लोग ईपीएफओ से जुड़े हैं, ये सब फॉर्मल जॉब हैं. इनमें से भी 65 लाख 18-25 आयु के हैं. मतलब ये इन लोगों की पहली जॉब है. कोविड प्रतिबंध खुलने के बाद हायरिंग दोगुनी हो गई हैं. राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ दल के बड़े नेताओं ने पिछले दो साल में जो अपरिपक्वता दिखाई है उससे देश को बहुत निराशा हुई है. हमने देखा कि कैसे राजनीतिक स्वार्थ में खेल खेले गए, भारतीय वैक्सीन के खिलाफ मुहिम चलाई गई.