वेबसाइट पर अपलोड की जाएं एफआईआर, हाईकोर्ट ने किया याचिका का निराकरण



जबलपुर ।पुलिस विभाग द्वारा वेबसाइट पर एफआईआर अपलोड नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस एम एस भट्टी की युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा है कि वेबसाइट पर एफआईआर अपलोड करने के संबंध में न्यायालय पहले ही आदेश पारित कर चुका है। सरकार द्वारा पेश किए गए जवाब में बताया गया है कि आदेश का परिपालन किया जा रहा है।

अधिवक्ता रविन्द्र नाथ त्रिपाठी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2016 में व्यवस्था दी थी कि पुलिस विभाग सहित जांच एजेंसी द्वारा दर्ज एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। इसके अलावा जिन एफआईआर को अपलोड नहीं किया जाता है। उसके कारणों को अपलोड करना आवश्यक है। ऐसे प्रकरणों में एफआईआर प्राप्त करने पुलिस अधीक्षक या संबंधित न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं। याचिका में कहा गया था प्रावधान होने के बावजूद भी वेबसाइट में एफआईआर अपलोड नहीं की जाती है।

पुलिस अधीक्षक या संबंधित न्यायालय के समक्ष आवेदन करने पर एफआईआर की प्रति देने की आवश्यकता नहीं होने या एफआईआर की प्रति नहीं होने के संबंध में आदेश पारित किए गए हैं। याचिका में प्रदेश सरकार, जिला व सत्र न्यायधीश सिवनी, डीजीपी, एसपी लोकायुक्त तथा एसपी सिवनी को अनावेदक बनाया गया था। सरकार की तरफ से पेश किए गए जवाब में बताया गया था कि एफआईआर को वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है। युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को सरकार के जवाब पर अपना पक्ष प्रस्तुत करने निर्देश दिए थे। युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा है कि उच्च न्यायालय वेबसाइट पर एफआईआर अपलोड करने के संबंध में पहले ही आदेश पारित कर चुका है। याचिका में चाही राहत के संबंध में सरकार ने अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है। याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा।