कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित लोगों में हृदय रोग का खतरा बढा : विशेषज्ञ




नई दिल्ली । वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के घातक दुष्प्रभाव को लोग आज भी नहीं भूले है। पिछले साल कोरोना वायरस के शिकार हुए लोगों में एक साल बीतने के बाद भी दिल की बीमारी का गंभीर खतरा बना हुआ है। एक नई स्टडी से ये बात सामने आई है। कोरोना की दूसरी लहर में इस महामारी की चपेट में आने वाले तमाम लोग अब तक सीने में जलन, हार्ट अटैक और धड़कन बढ़ने जैसी परेशानियों से जूझ रहे हैं। अमेरिका में हुई स्टडी बताती है कि दिल की बीमारी का खतरा ऐसे लोगों में भी है, जिन्हें तब कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आई थी। ये स्टडी साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मेदांता हॉस्पिटल में हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरआर कासलीवाल बताते हैं कि कोविड से मरीजों में साइटोकीन का स्तर बढ़ जाता है, जो दिल पर असर डालता है। लेकिन हम ये बात निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि लॉन्ग कोविड के लक्षण कब और कैसे प्रभावित करेंगे। ये तीन महीने, छह महीने और साल भर बाद भी सामने आ सकते हैं। वह कहते हैं कि डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी कोमॉर्बिडिटीज से पीड़ित लोगों में तो ये खतरा ज्यादा है ही, लेकिन बहुत से बाकी लोग भी महीनों बीतने के बावजूद हार्ट ब्लॉकेज, धड़कन बढ़ने और दिल की दूसरी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।

फॉर्टिस हॉस्पिटल में हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. विवुध प्रताप सिंह ने बताया कि हमारी ओपीडी में ऐसे बहुत से लोग आते हैं, जो पिछले साल अप्रैल-मई में कोविड का शिकार हुए थे और अब तक लॉन्ग कोविड से जूझ रहे हैं। ऐसे लोगों में दिल की मांसपेशियों में जलन, दिल के बाएं हिस्से में डैमेज और हार्ट अटैक तक देखने को मिल रहा है। आमतौर पर हार्ट अटैक तब होता है जब दिल की नसें ब्लॉक हो जाती हैं या मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। लेकिन लॉन्ग कोविड के मरीजों को बिना इन वजहों के भी दिल के दौरे पड़ रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में हुई एक स्टडी से पता चला है कि दिल में जलन के मामले 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इसी तरह नसें ब्लॉक होने में 6 फीसदी और हार्ट अटैक के मामलों में चार फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। डॉक्टर सुझाव देते हैं कि अगर आप कोविड की चपेट में आए हों, भले ही वह ज्यादा गंभीर न हो, फिर भी आपको छह महीने बाद हार्ट का पूरा चेकअप करा लेना चाहिए क्योंकि कई मामलों में कोविड का असर 6-9 महीने बाद तक दिख रहा है। डॉक्टर कासलीवाल कहते हैं कि कोविड के मरीज खासकर कोमॉर्बिडिटी वाले लोगों को डॉक्टर की सलाह लेकर ईसीजी करा लेना चाहिए। अगर कोरोना हुए छह महीने हो चुके हैं तो स्ट्रेस ईसीजी कराना चाहिए। अगर कुछ गड़बड़ होगी तो इनसे पता चल जाएगी। मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा कहते हैं कि पिछले साल हुई स्टडी से पता चला था कि लॉन्ग कोविड के लक्षणों का बीमारी की गंभीरता से ज्यादा संबंध नहीं है। ऐसे में ये मान लेना ठीक नहीं होगा कि अगर आप ओमिक्रोन की चपेट में आए हैं तो कुछ खतरा नहीं होगा।