स्लीप डिसऑर्डर को ना करे नजरंदाज, डॉक्टर से ले सलाह



नई दिल्ली। स्लीप डिसऑर्डर बीमारी के कारण दिन में नींद आना, रात में नींद न आना और हमेशा सुस्ती बने रहना काफी सामान्य लक्षण हैं। विदेशों के साथ-साथ भारत में भी नींद संबंधी विकार यानी स्लीप डिसऑर्डर काफी कॉमन है। गायक और संगीतकार बप्पी लाहिड़ी को भी ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया नाम का स्लीप डिसऑर्डर था। स्लीप डिसऑर्डर और चेस्ट इंफेक्शन की वजह से बुधवार को उनका निधन हो गया। ज्यादातर लोगों को कभी न कभी सोने में परेशानी होती ही है, लेकिन लंबे समय से महसूस हो रही नींद की समस्या या थकान किसी गंभीर समस्या का भी कारण बन सकती है। इसके लिए जानना जरूरी है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। इसके लिए स्लीप डिसऑर्डर के बारे में कुछ जानकारी जाननी काफी जरूरी है।कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की दिग्गज कंपनी द्वारा की गई स्टडी के अनुसार, लगभग 93 प्रतिशत भारतीय नींद से वंचित हैं। बदलती जीवनशैली और आधुनिक गैजेट्स के उपयोग ने इस स्थिति को और अधिक बढ़ा दिया है। किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के सिर्फ लखनऊ जिले में ही नींद विकार से प्रभावित मरीजों की संख्या 40 लाख से ज्यादा हो सकती है। रिसर्च के मुताबिक, 72 प्रतिशत भारतीय रात में 1 से 3 बार उठते हैं और उनमें से 87 प्रतिशत लोगों की हेल्थ पर इसका बुरा असर पड़ता है। उनमें से 58 लोगों की अधूरी नींद का असर उनके काम पर पड़ता है। 11 प्रतिशत लोग अधूरी नींद के कारण काम से छुट्टी लेते हैं और 19 प्रतिशत इंडियन की अधूरी नींद उनके परिवार से रिश्तों पर खराब असर डालती है। 15 प्रतिशत लोग अपनी काम के प्रेशर के कारण रात में अच्छी नींद नहीं ले पाते और 33 प्रतिशत इंडियन खर्राटे लेने के कारण नहीं सो पाते। इनमें से सिर्फ 2 प्रतिशत इंडियन ही नींद न आने के कारण डॉक्टर से मिलते हैं।

स्लीप डिसऑर्डर को दूर करने का सबसे आसान रास्ता है कि आप यह पता लगाएं कि आखिर आपको नींद क्यों नहीं आ रही है। इसके बाद एक डायरी में नोट करें कि आप रात को कितने घंटे पहले सोए थे, नींद की क्वालिटी कैसी थी, नींद कितने बजे खुली आदि। इसके अलावा कुछ अन्य कारक जैसे शराब और कैफीन का सेवन, एक्सरसाइज आदि भी शामिल करें। साथ ही यह भी लिखें कि सुबह उठने के बाद आप कैसा महसूस करते हैं। कुछ हफ्ते बाद आप खुद अपने नींद के पैटर्न से समझ जाएंगे कि आखिर क्यों आपकी नींद डिस्टर्ब हो रही है। इसके बाद जब आप समझ जाएं कि स्लीप डिसऑर्डर का क्या कारण है, उसे दूर करने की कोशिश करें। या फिर अपना स्लीप जर्नल लेकर डॉक्टर से मिलें, लेकिन ध्यान रखें कि डॉक्टर के द्वारा पूछे हुए सवालों का सही-सही जवाब दें, ताकि वह आपकी मदद कर पाए। तनाव, कैफीन का सेवन, दवाओं आदि के बारे में सही जानकारी दें। क्योंकि ये सारे कारण नींद को प्रभावित करते हैं। पॉलीसोम्नोग्राफी (पीएसजी), इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) और मल्टीपल स्लीप लेटेंसी टेस्ट भी कुछ ऐसे परीक्षण हैं, जिनसे स्लीप डिसऑर्डर का पता लगाया जा सकता है।डॉक्टर को लगेगा तो वह आपको स्लीप लैब भेज सकता है, जहां एक्सपर्ट नींद के दौरान आपके हृदय, मस्तिष्क के कार्य और सांस का निरीक्षण करते हैं। इन परीक्षणों के आधार पर स्लीप स्पेशलिस्ट आपके स्लीप डिसऑर्डर का सही कारण और उसे सुधारने का उपाय बता सकता है। नींद संबंधी विकारों का उपचार हर मरीज के लिए अलग-अलग होता है। जिसमें कुछ थैरेपी से लेकर दवाइयां तक शामिल हैं। स्लीप डिसऑर्डर वाले मरीजों को डॉक्टर सोने से 1 घंटे पहले तक गैजेट्स का इस्तेमाल न करने, योग करने, मेडिटेशन करने, लंबी सांस लेने आदि की सलाह दे सकते हैं। बता दें कि नींद संबंधी विकार/ स्लीप डिसऑर्डर ऐसी स्थिति को कहते हैं, जो आपकी नींद को खराब कर देती है या फिर आरामदायक नींद लेने से रोकती है। अब चाहे वो किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण हो या बहुत अधिक तनाव के कारण।