50 लाख का कर्ज ना चुकाने रची साजिश: मंदसौर में अपने जैसे दिखने वाले शख्स की हत्या कर पत्थर से कुचला चेहरा, लाश को पहनाए अपने कपड़े
मंदसौर। कर्ज चुकाने से बचने के लिए एक शख्स ने खुद की मौत की साजिश रची और अपने जैसे दिखने वाले एक शख्स की हत्या कर दी। मामला मंदसौर जिले के नारायणगढ़ थाना क्षेत्र का है। जहां पुलिस ने नानूराम हत्याकांड में चौंकाने वाला खुलासा किया है। मृतक का गुनाह सिर्फ इतना था कि वह हत्यारे जैसा दिखता था। आरोपी पर कर्ज ज्यादा हुआ, तो उसने खुद की मौत की साजिश रची और अपने जैसी कद काठी वाले परिचित का गला घोंट दिया। फिर पत्थर से उसका चेहरा कुचल दिया, ताकि उसे कोई पहचान ना सके। वारदात के बाद शव को अपने कपड़े पहना दिए, जिससे पुलिस उसे ही मृतक समझ ले। लेकिन आरोपी की यह चाल कामयाब नहीं हो सकी।
कर्ज नहीं चुकाना पड़े, इसलिए रची साजिश: मंदसौर एसपी अनुराग सुजानिया ने बताया कि 4 फरवरी को भीलखेड़ी गांव में सड़क किनारे एक लाश मिली थी। उसकी पहचान नारायणगढ़ के लिम्बावस गांव के रहने वाले नानूराम पिता कारूलाल धनगर, (33) के रूप में हुई थी। एसपी सुजानिया ने बताया कि मृतक नानूराम को आखिरी बार भीलखेड़ी निवासी ईश्वर लाल पिता कंवर लाल गुर्जर और सुंदरलाल पिता बाबूलाल गुर्जर के साथ में देखा गया था।पूछताछ की तो पता चला कि ईश्वर लाल पर करीब 50 लाख का कर्ज था। कर्ज से मुक्ति पाने के लिए उसे अपने जैसे कद-काठी वाले की तलाश थी। नानूराम उसके जैसा ही दिखता था। इसलिए उसने उसकी हत्या की प्लानिंग कर डाली। ईश्वर ने गांव के ही दोस्त सुंदरलाल को साथ में मिलाया और नानूराम को पार्टी के बहाने साथ ले गए। एकांत में तीनों ने शराब पार्टी की और फिर नानूराम का गला घोंट दिया। हत्या के बाद पहचान छिपाने उसके चेहरे को पत्थर से कुचल दिया। लाश को सड़क किनारे फेंका और फरार हो गए।
इस कारण दोनों में थी जान-पहचान: आरोपी ईश्वर लाल जेसीबी संचालक है। वहीं, नानूराम के पास मिट्टी निकालने की मशीन थी। दोनों का काम एक जैसा होने से एक-दूसरे को अच्छे से जानते थे। परिचय का ही फायदा उठाकर उसने शराब पार्टी के बहाने उसे बुलाया था।
बंशी गुर्जर हत्याकांड से प्रेरित होकर रची साजिश: पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने 2009 में नीमच के निकट हुए बंशी गुर्जर हत्याकांड से प्रेरित होकर नानूराम के मर्डर की साजिश रची थी। साजिश के अनुसार आरोपी चाहते थे कि नानूराम के शव की शिनाख्त ईश्वर लाल के रूप में हो जाए और पुलिस ईश्वर लाल को मृतक मान लें। इसके बाद आरोपी ईश्वर लाल गांव से फरार हो जाएगा और उसे कर्ज चुकाना नहीं पड़ेगा। दोनों आरोपियों की यह चाल कामयाब नहीं हो सकी। पुलिस के आगे दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।