अहमदाबाद सिरियल ब्लास्ट केस में 49 आरोपी दोषी करार, बुधवार को सजा का ऐलान



 सबूतों के अभाव में 28 आरोपी निर्दोष घोषित, 14 साल बाद पीड़ित परिवारों को मिला इंसाफ

अहमदाबाद। गुजरात की एक अदालत ने 2008 के अहमदाबाद सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में मंगलवार 77 आरोपियों में से 10 को बरी कर दिया। अदालत ने पिछले साल सितंबर में सुनवाई पूरी की थी। दिसंबर 2009 में शुरू हुए लंबे मुकदमे में 1,100 गवाहों से पूछताछ की गई थी। इस केस में अब तक कुल 49 आरोपियों को दोषी ठहराया गया और 28 को बरी किया गया है।

क्या था अहमदाबाद बम विस्फोट मामला: 26 जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में कम से कम 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थे। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर मुकदमा चला।

जज को कोरोना होने के कारण हुई देरी: सीनियर पब्लिक प्रोसिक्यूटर सुधीर ब्रह्मभट्ट ने बताया कि मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज एआर पटेल कोरोना संक्रमित होकर आइसोलेशन में चले गए थे, जिसके चलते फैसले की तारीख को 1 फरवरी से बढ़ा दिया गया था। अब वे ठीक होकर लौट आए हैं।

गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में किए गए थे ब्लास्ट: पुलिस ने दावा किया था आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन और बैन किए गए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया से जुड़े लोगों ने शहर में ब्लास्ट कराए हैं। पुलिस का मानना था कि आईएम के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए।

12 साल चला ट्रायल: 2009 में ट्रायल तब शुरू हुए जब करीब 35 केसों को मिलाकर एक बड़ा केस बनाया गया। अहमदाबाद में ब्लास्ट वाली लोकेशन में और सूरत में जहां पुलिस को बम मिले, वहां स्नढ्ढक्र दर्ज कराई गईं। लंबे चले मुकदमे में कई मोड़ आए। प्रोसिक्यूशन ने जज एआर पटेल के सामने 1,100 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की।केस से जुड़े 6000 डॉक्यूमेंट्स कोर्ट में पेश किए गए। 3,47,800 पेज की 547 चार्जशीट तैयार की गई थीं। अकेले प्रायमरी चार्जशीट ही 9800 पेज की रही। 77 आरोपियों के मामले में 14 साल बाद दलीलें पूरी हुई। फैसला लेने के लिए 7 जज बदले गए, लॉकडाउन के दौरान भी सुनवाई रोज चली।सुरक्षा के लिहाज से इस हाईप्रोफाइल केस में शुरुआती ट्रायल साबरमती जेल के अंदर किए गए। अधिकतर सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गईं। मर्डर, मर्डर की कोशिश और क्रिमिनल कॉन्सपिरेसी के अलावा आरोपियों पर एंटी-टेरर कानून के तहत भी मुकदमा दायर किया गया।