कई समस्याओं को जन्म देती है देरी से शादी, 25-26 के मध्य करनी चाहिए युवाओं को शादी



नई दिल्ली। भारतीय समाज में अस्सी का दशक ऐसा रहा है जब भारत में एकल परिवार की शुरूआत हुई। उस दशक में परिवारों के टूटने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो आज तक जारी है। इस एकल परिवार अर्थात् हम दो और हमारे दो ने समाज में शादी की उम्र में भी बड़ा अन्तर ला दिया। पहले के दौर में जहाँ लडक़ा 18-19 और लडक़ी 15-16 की होते ही शादी हो जाया करती थी, वहीं आज स्थिति यह है कि अब लडक़ा 28-30 और लडक़ी 26-28 की होने के बाद ही शादी के बारे में सोचा जाता है। शादी के प्रति उम्र के इस बढ़ाव का एक कारण युवाओं का अपने करियर को लेकर सजग होना भी है। आज हर युवा शादी से पहले स्वयं को स्थापित करने में जुट जाता है। जब उसे ऐसा लगता है कि अब वह परिवार का बोझ उठा सकता है तब वह अपने विवाह के बारे में सोचता है। यह सोच न सिर्फ लडक़ों अपितु लड़कियों की भी हो गई है। हर लडक़ी आज स्वयंशील होने के बाद ही अपने विवाह के बारे में विचार करती है। आज के इस प्रतियोगी और कॅरियर केंद्रित दुनिया में हर व्यक्ति पहले अपने कॅरियर और सुदृृढ आर्थिक स्थिति को प्राथमिकता देता है। ऐसे में विवाह की उम्र बहुत देर से आती है।

देरी से विवाह के कारण: कई बार युवक युवतियाँ अपने जीवनसाथी को लेकर इतनी अपेक्षाएँ और आशाएँ रखते हैं कि वे कई अच्छे रिश्तों को ठुकराते चले जाते हैं जिससे विवाह में देरी हो जाती है। कई आधुनिक युवक-युवतियाँ विवाह को गैरजरूरी मानते हैं। वे इसे एक बंधन मानते हैं। वे सोचते हैं कि विवाह के बंधन में बंधे बिना भी वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। उनकी यही सोच उन्हें विवाह के बंधन में बंधने की सही उम्र से दूर ले जाती है। कई बार घर परिवार की जिम्मेदारियों के कारण भी विवाह में देरी हो जाती है।

संबंधों में असहजता: बडी उम्र में शादी करने के कारण तो बहुत है, लेकिन उनकी अपेक्षाएं, उनका एक-दूसरे पर विश्वास, उम्र के साथ बढ़ती परिपक्वता के तहत वह अपने साथी में परफेक्टनैस को ढूंढते हैं और थोडी सी कमी उनके रिश्तों में असहजता ला देती है। हमारे आसपास बड़ी उम्र में वैवाहिक बंधनों में बंधने वाले अनेक युवक-युवतियाँ मिलते हैं, जो एक-दूसरे को संदेह की नजर से देखते हैं। दोनों अपनी लंबी अविवाहित जिंदगी में इतना कुछ अनुभव कर चुके होते हैं कि उन्हें एक दूसरे में नया कुछ अनुभव नहीं हो पाता। उनका उद्देश्य इस रिश्ते को निभाना मात्र होता है।