129 दिन बाद जेल से रिहा हुआ केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा
लखीमपुर खीरी
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले का मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा 129 दिन बाद जेल से बाहर आ गया है। आशीष मिश्रा देश के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी का बेटा है। आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को ही हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। 10 मार्च को हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने कहा था कि कागजी कार्यवाही पूरा होने के बाद आशीष मिश्रा को जेल से रिहा कर दिया जाएगा। लेकिन उसकी रिहाई नहीं हो पाई। बताया गया कि आशीष मिश्रा के जमानत आदेश में दो धाराओं को शामिल नहीं किया गया था। बाद में लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा के जमानत आदेश में सुधार किया जिसके बाद उसकी रिहाई का रास्ता भी साफ हो गया।इससे पहले आशीष मिश्रा के वकील ने कहा कि कोर्ट ने दो बार तीन लाख रुपये की जमानत राशि की मांग की थी। शहर से बाहर जाने पर कोई पाबंदी नहीं होगी। न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने आशीष मिश्रा द्वारा दायर सुधार आवेदन पर यह आदेश पारित किया। अर्जी में कहा गया था कि अदालत ने मामले के गुण-दोष पर विचार करते हुए 10 फरवरी को आशीष को जमानत दे दी थी तथा जमानत आदेश में भादंसं की धाराओं- 147 , 148,149,307,326, 427 सपठित धारा 34,आयुध अधिनियम की धारा 30 तथा मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 का उल्लेख है। इसमें कहा गया था कि उपरोक्त धाराओं के अतिरिक्त भादंसं की धारा 302 तथा 120 बी का उल्लेख जमानत आदेश में होना चाहिए था क्योंकि अदालत ने जमानत अर्जी सभी धाराओं के अपराध को ध्यान में रखते हुए सुनी थी और फिर आदेश पारित किया था। अर्जी में कहा गया था कि किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि गलती से उक्त धाराएं उल्लेख से छूट गई हैं जिस कारण आदेश को सुधारकर उक्त धाराओं का उल्लेख करना जरूरी है क्योंकि इसके बिना जेल से रिहाई नहीं हो पाएगी। उच्च न्यायालय ने अर्जी पर सोमवार को सुनवाई करते हुए इसे मंजूर कर लिया और आदेश में भादंसं की धारा 302 व 120 बी जोड़ने का आदेश जारी कर दिया। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पिछले वर्ष तीन अक्टूबर को किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। आशीष मिश्रा ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का रुख किया था और जमानत आदेश में हत्या से संबंधित धारा 302 एवं आपराधिक साजिश से संबंधित धारा 120 बी का उल्लेख करने का आग्रह किया, जिनका अनजाने में उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लेख छूट गया था। अदालत ने सोमवार को इसमें सुधार करते हुए नया आदेश जारी किया।