एक हजार के एक पैग में डूब रही सिंगरौली की तरुणाई




आर.के.श्रीवास्तव

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काल चिंतन,सिंगरौली। सिंगरौली जिले में जबसे औद्योगिकरण हुआ है मादक द्रव्यों के तस्करों का नेटवर्क काम करता रहा है। सिंगरौली जब तहसील थी तब भी गांजा, चरस, अफीम बेचने वाले बिहार व उत्तर प्रदेश के तस्कर यहां अपना मायाजाल फैलाये हुये थे। जिला बनने के बाद मादक द्रव्यों के व्यापार में क्रमश: इजाफा हुआ है। आज जबकि सिंगरौली जिला पावर हब बन चुका है। तकरीबन कोयले की दस खुली खदानें तथा आधा दर्जन पॉवर परियोजनाएं स्थापित हो चुके हैं। मादक द्रव्यों के व्यापार में भी गुणात्मक वृद्धिु हुयी है। यहां लम्बे अर्से से गांजा, चरस, अफीम तथा महुये की अवैध शराब का व्यापार फल-फूल रहा था। वर्तमान स्थिति और भयावह हो गयी है। सिंगरौली की तरूणाई अब ब्राउन सुगर के गिरफ्त में आ चुकी है। ब्राउन सुगर तथा हेरोईन का दलदल सिंगरौली में बनने लगा है। अभी शुरूआत है, अभी सिंगरौली जिले के नगरीय कस्बाई अंचल में भी स्मैक के सौदागर अपना नेटवर्क फैला रहे हैं। सुत्र बताते हंै कि जयंत क्षेत्र से लेकर नवानगर थाना क्षेत्र तथा कोतवाली वैढ़न क्षेत्र से लेकर विन्ध्यनगर तक स्मैक की पुड़िया पाकेट में रखकर आपूर्ति की जा रही है। वह दिन दूर नहीं कि नगरीय तथा कस्बाई अंचलों से हटकर यह जहर ग्रामीण अंचलों तक अपना पैर फैला ले। नवानगर थाना क्षेत्र तथा वैढ़न एवं विन्ध्यनगर थाना क्षेत्र में समाज को तोड़ देने वाला यह जहर फैल चुका है। बताते हैं कि ब्राउन सुगर का एक पैग लेने में एक हजार रूपये खर्च होता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत दस करोड़ रूपये प्रति किलो बतायी जाती है। सिंगरौली वही जिला है जहां कभी मादर की थाप पर भांग पिसी जाती थी। लोग महुआ की रोटी खाकर के दिनभर मस्त रहते थे। यहां की वादियों में कर्मा तथा झोलाई के गीत ध्वनित होते थे। आज वही सिंगरौली कोयला खदानों की ब्लास्टिंग भारी वाहनों की गर्जना तथा पॉवर प्लांटों की चिमनियों की राख से त्रस्त हो चुका है। प्रदूषण का जहर सिंगरौली की भावी पीढ़ी को तो निगल ही रहा था कि स्मैक का एडिक्शन दूसरी बड़ी सामाजिक समस्या के रूप में प्रशासन तथा सरकार के सम्मुख आन खड़ा हो गया है।