जबरिया भू अधिग्रहण के खिलाफ १६ दिनों से चल रहा है अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन,प्रशासन मौन




कल तक नहीं होगी वार्ता तो सोमवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल होगा प्रारंभ: का. संजय नामदेव

काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौली।  चितरंगी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत क्षेत्र डाला में करीब 7 पंचायत के लोग जबरिया भू अधिग्रहण के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं धरने का 16 दिन पूरा हो चुका लेकिन जिला प्रशासन मौन धारण किए हुए हैं जिससे ग्रामीणों में आक्रोश तेजी से बढ़ रहा है। आदिवासियों की जमीन को जबरदस्ती बेदखल करने वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा जो प्रयास किया गया वह निंदनीय है इस आंदोलन को समर्थन देने ऊर्जांचल विस्थापित एवं कामगार यूनियन एटक के जिलाध्यक्ष का, संजय नामदेव संयुक्त किसान संघर्ष समिति के संयोजक अशोक सिंह पैगाम सिहावल से चलकर आए किसान नेता  निसार अली ने अपना समर्थन दिया आंदोलन में अगली रणनीति यह है कि अगर रविवार तक जिला प्रशासनिक अधिकारी आंदोलनकारियों से वार्ता कर किसानों की समस्या का निदान नहीं करते तो सोमवार से हम लोग स्वयं उनके धरना स्थल में शामिल हो गए और अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे। 

गौरतलब हो कि जनपद पंचायत चितरंगी के 7 ग्राम पंचायतों कि करीब 102 हेक्टेयर जमीन राजस्व विभाग वन विभाग को हस्तांतरित कर रहा है उक्त जमीन में सैकड़ों आदिवासियों हरिजन अपना मकान बना कर आजादी के पहले से आबाद है खेतीवाड़ी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं उन्हें वन विभाग के द्वारा जबरदस्ती चारों तरफ से बाड़ लगाकर उनका रास्ता बंद किया जा रहा है और उन्हें उस जमीन से बेदखल किया जा रहा है जिसके विरोध में करीब 16 दिन से यह धरना चल रहा है आपको बता दें यह जबरिया भू अधिग्रहण सुलियरी कोल माइंस में फंसी वन विभाग की जमीन के बदले राजस्व विभाग की जमीन दे रहा है किसानों ने बताया कि  जमीन बहुत सारी ऐसी शासन की पड़ी हुई है जिस पर किसी का कब्जा नहीं है कोई खेती-बाड़ी नहीं होती वहां की जमीन दे दे लेकिन हमारे क्षेत्र के चुने हुए जनप्रतिनिधि चाहे वह सांसद हो या विधायक सभी मौन साधे हुए हैं और आदिवासियों को उनकी हालत पर छोड़ दिए जो कतई बर्दाश्त के लायक नहीं है इसके विरोध में किसान संघर्ष समिति वो तमाम सामाजिक संगठनों का समर्थन प्राप्त है और यह आंदोलन धीरे-धीरे अब उग्र रूप धारण करता जा रहा है। इस आंदोलन को लेकर जिला प्रशासन से आग्रह किया गया है कि अपनी हठधर्मिता को छोड़कर हरिजन आदिवासी किसानों से बातचीत कर इस आंदोलन को समाप्त कराएं अन्यथा धीरे-धीरे सिंगरौली जिले में जहां जहां विस्थापन चल रहा है वहां के लोग एकजुट होंगे और जिले में एक बड़ा किसान आंदोलन तैयार होगा उस आंदोलन से उत्पन्न होने वाली सभी परिस्थितियों का जिम्मेदार जिला प्रशासन होगा।