एनजीटी के नियमों को ताक पर रख कर बालू पट्टा धारक कर रहे बालू का खनन




काल चिंतन संवाददाता

चोपन/सोनभद्र। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के नियम यह हैं कि सात फीट से अधिक गहराई पर खनन नहीं किया जा सकता। लेकिन सोननदी में इसकी नियम को ताख पर रखकर नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पोकलैंड मशीनों  एव नावों से बीस से पच्चीस फीट गहराई से बालू निकालकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अधिक गहराई मे खनन होने से भूखंड में पानी निकल आया है और मशीनों के खनन से जलजीव (कछुआ) मर रहे हैं।  इसी सोननदी में गहरे खनन के जद में आने से कई  ट्रक डूब चुके है जिसका पता आज तक नही चल सका । वही बालू लदे ओभर लोड गाड़ियों से सड़को पर गिर रहे पानी से सड़क  किचड़ में तब्दील हो गया हैं। कीचड़ युक्त सड़क पर आए दिन जाम लग जा रहा है। इस सड़क पर पैदल यात्रि दुर्दशा का सामना तो कर ही रहे हैं मोटरसाइकिल सवार भी आए दिन गिर रहे है। गनीमत यह हैं कि अभी कोविड को लेकर स्कूल कॉलेज बन्द है। इस स्थिति में ग्रामीण बच्चे स्कूल कैसे जाएंगे। एक तरफ पूरे सड़क पर कीचड़ दूसरी तरफ भारी वाहनों का अंधा धुन परिचालन उसी में झाड़ियो एव कचड़ों से भरी ट्रैक्टर टिपर का ट्रिप के चक्कर मे बेतरतीब चलना किसी बड़े अनहोनी से इंकार नही किया जा सकता हैं। ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा हैं। ग्रामीणों की मानें तो बहुत जल्द  समाधान नहीं निकला तो उग्र आन्दोलन को बाध्य होंगे।