वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लेने वालों को ओमिक्रान का खतरा ज्यादा



नई दिल्ली। कोरोना के नए वेरियेंट ओमीक्रोन से संक्रमित मरीजों को आंकड़े दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं। इस कारण टीकाकरण अभियान को और गति दी जा रही है। 3 जनवरी से 15 से 18 वर्ष के बच्चों को भी पहली बार वैक्सीन डोज दी जाएगी। वहीं, 10 जनवरी से 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों, स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम मोर्चों पर तैनात कर्मियों को बूस्टर या प्रिकॉशन डोज दी जाएगी। केंद्र सरकार ने पिछले साल मई में लक्ष्य निर्धारित किया था कि 31 दिसंबर, 2021 तक देश की पूरी व्यस्क आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज दे दी जाएगी। लेकिन आज जब हम नए वर्ष में प्रवेश कर गए हैं और 31 दिसंबर, 2021 का दिन निकल गया है तब 90 प्रतिशत व्यस्क आबादी को ही टीका लगाया जा सका है, वो भी सिर्फ एक डोज। आश्चर्य है कि टीकाकरण के मामले में हमारी युवा आबादी सबसे फिसड्डी निकली है जबकि अधेड़ उम्र के लोग टॉप रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के सिर्फ 55 फीसदी लोगों को ही टीके की दोनों डोज लग सकी। वहीं, 45 से 59 वर्ष के आयु वर्ग की 73 फीसदी जबकि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र की 69 फीसदी आबादी को टीके की दोनों खुराक दी जा सकी है।

टीकाकरण में हिमाचल प्रदेश ही अकेला राज्य है जहां की पूरी आबादी को दोनों वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। वहीं, पंजाब दोनों डोज देने के मामले में सबसे फिसड्डी रहा है। वहां 40 फीसदी से कुछ ही ज्यादा आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज दी जा सकी है। पंजाब के साथ-साथ बिहार और झारखंड को भी छोड़ दिया जाए तो देश के अन्य सभी राज्यों ने 80 फीसदी से ज्यादा व्यस्क आबादी को पहली खुराक दे दी है। पंजाब, झारखंड और उत्तर प्रदेश में 18 साल से ऊपर की आधी आबादी को भी दोनों डोज नहीं दी जा सकी है। दक्षिणी राज्यों में तमिलनाडु टीकाकरण के मामले में सबसे पिछड़ा है। वहां 86 फीसदी व्यस्क आबादी को पहली डोज जबकि सिर्फ 58 फीसदी आबादी को दोनों डोज दी गई है। देश की पूरी व्यस्क आबादी को दोनों खुराक देने के लिए वैक्सीन की कुल 188 करोड़ डोज की जरूरत है। इनमें कोरोना वैक्सीन की कुल 145 करोड़ डोज लगाई जा चुकी है। केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्यों के पास 16.9 करोड़ डोज पड़ी थी। आंकड़ों के मुताबिक, सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों को मिलाकर, लक्ष्य की कुल 86 फीसदी वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। इनमें 97 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है जबकि 1 करोड़ से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी अब तक एक डोज ही ले पाए हैं। यह हाल तब है जब स्वास्थ्यकर्मियों को टीकाकरण के प्राथमिकता समूह में सबसे ऊपर रखा गया है। इसी तरह, पुलिस, स्वयंसेवक समेत तमाम फ्रंटलाइन वर्करों में 1.8 करोड़ को वैक्सीन की पहली डोज ही लगी है जबकि 1.7 करोड़ दोनों डोज ले चुके हैं। कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली देसी कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने देश में कुल उत्पादित वैक्सीन डोज का 89 फीसदी यानी 128.9 करोड़ डोज का उत्पादन किया है। वहीं, भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन की 15.7 करोड़ यानी कुल उत्पादित वैक्सीन की 11 फीसदी डोज का योगदान दिया है। 3 जनवरी से बड़े बच्चों को पहली खुराक और 10 जनवरी बुजुर्गों समेत अन्य प्राथमिकता समूह के लोगों को तीसरी यानी बूस्टर डोज दिए जाने का अभियान शुरू होने पर कोविड टीके की मांग और बढ़ेगी।