सामुदायिक भवन में संपन्न हुआ ओबीसी महासभा का सम्मेलन, कहा-स्वतंत्रता के 7५ वर्ष बाद भी ओबीसी समाज को नही मिला सम्मान




काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौली। स्वतंत्रता के 7५ वर्ष बाद भी ओबीसी समाज को जो सम्मान संविधान में निर्धारित किया गया था उसका लाभ समाज के लोगों को नही मिल सका। ओबीसी समाज आज भी अपने अधिकारों और सुविधाओं से वंचित है। जरुरत है कि समाज के लोग एकजुटता के साथ समाज में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये आगे आये। यह बातें ओबीसी महासभा द्वारा आयोजित ओबीसी महासम्मेलन में ओबीसी महासभा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बृजेन्द्र सिंह यादव ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता गणेश विश्वकर्मा ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रुप में राकेश पटेल कार्यवाही अध्यक्ष म0प्र0, हेमन्त शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष छात्र मोर्चा, आरडी कुशवाहा, सुदामा कुशवाहा, पप्पू कनौजिया, रेनू शाह, जय बहादुर यादव, ज्योती वर्मा महिला जिलाध्यक्ष, सविता सेन, किरण शाहवाल, इन्दू सोनी, महिला अध्यक्ष सीधी, करुणा कुषवाहा, कुसुम कुमारी शाह, लीलावती पटेल, इन्दू विश्वकर्मा, मौजूद रहे। श्री सिंह सामुदायिक भवन में आयोजित ओबीसी महासम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उ

न्होने कहा कि समाज में जनसंख्या के आधार पर ओबीसी समाज की भागीदारी सुनिश्चित है परन्तु ओबीसी समाज को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। स्वतंत्रता के 7५ वर्ष बाद भी आज ओबीसी समाज अपने अधिकारों और सम्मान के लिये संघर्ष कर रहा है। उन्होने कहा कि समाज के लोगों को अपने अधिकारों और सम्मान के लिये एकजुटता के साथ आगे आना होगा। श्री यादव ने यह भी कहा कि समाज के लोगों को शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करते हुये अपने को मजबूत बनाना होगा। श्री यादव ने कहा कि मण्डल कमीशन की अनुशंसाओं को पूर्णत: लागू किया जाय। संख्या के अनुपात में ओबीसी के लिये राज्य विधानसभा में सीटें एवं लोकसभा में सीटें आरक्षित की जाय। किसान की उपज का वर्तमान मूल्य बढ़ाकर तीन गुना किया जाय। केन्द्र एवं राज्य सरकार के विभागों में ओबीसी के रिक्त पदों को अतिशीघ्र भरा जाय। ओबीसी छात्र/छात्राओं की छात्रवृत्ति आयसीमा 3 लाख से बढ़ाकर 10 लाख प्रति वर्ष की जाय। एक समान शिक्षा स्वास्थ्य की व्यवस्था लागू की जाय एवं पिछड़ी जातियों मे आपसी मेल-मिलाप, भाईचारा सामंजस्य के साथ सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक भागेदारी सुनिश्चित की जाय। कार्यक्रम में ओबीसी महासभा के प्रदेश महामंत्री रामशिरोमणि शाहवाल ने अपने उद्बोधन में ओबीसी समाज की एकजुटता पर बल देते हुये कहा कि समाज के लोग चाहे वो किसा जाति धर्म या राजनैतिक दल के हों जब तक एक नही होंगे तब तक उनको उनके अधिकार हासिल नही होंगे। श्री शाहवाल ने दलित विरोधी लोगों पर तंज कसते हुये कहा कि समाज के कई वर्ग के लोग दलितों का शोषण कर रहे हैं और ऐसे लोगों की मानसिकता दलित विरोधी है। इस तरह के लोगों की पहचान कर इनको सबक सिखाने की आवश्यकता है। श्री शाहवाल ने यह भी कहा कि विभिन्न राजनैतिक दलों के लोग चंद ओबीसी समाज के लोगों को जो निरक्षर एवं अज्ञानी हैं उनको अपने पीछे लेकर राजनैतिक एवं सामाजिक रुप से उनका दोहन कर रहे हैं। ऐसे लोगों की भी समाज को पहचान करनी है ताकि ओबीसी के लोगों का शोषण रोका जा सके और वह समाज की मुख्य धारा में आकर बराबरी कर दर्जा हासिल कर सके।  श्री शाहवाल ने कहा कि जब तक दलित अपने हितैषी को एवं सही और गलत की पहचान नही कर पायेंगे तब तक उनका उद्धार नही हो पायेगा। अब समय आ गया है कि दलितों को न्याय एवं अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिये एकजुटता के साथ समाज को कार्य करना होगा। कार्यक्रम के दौरान ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रादेशिक एवं स्थानीय पदाधिकारियों ने भी अपने विचार प्रस्तुत करते हुये समाज की एकजुटता और समाज को शिक्षित किये जाने पर बल दिया। इससे पूर्व कार्यक्रम स्थल सामुदायिक भवन में राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक प्रतिनिधियों के पहुंचने पर उपस्थित पदाधिकारियों द्वारा मार्ल्यापण से स्वागत किया गया। पदाधिकारियों ने सम्मेलन के प्रारंभ में बाबा भीमराव अम्बेडकर, छत्रपति साहू जी महाराज ज्योतिवा राव फुले, सावित्री फुले एवं राष्ट्रपिता महात्मागांधी के छायाचित्र पर मार्ल्यापण एवं पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का संचालन रामशिरोमणि शाहवाल व संदीप शाहवाल ने किया। ओबीसी महासभा के महासम्मेलन में मुख्य रुप से सुनील कुमार यादव, सीताराम यादव, हरिश्चन्द्र यादव, मुन्नीलाल यादव, रामदास यादव, हरीवंश यादव, धमेन्द्र पटेल, राजलाल पटेल सुनील कुमार पटेल, नंदकिशोर पटेल, राजललन पटेल, राजेन्द्र पटेल, मेजर केएल सिंह गुर्जर, शैलेन्द्र सिंह गुर्जर, प्रमोद नापित, संजय वर्मा, राजबाबू, बृजेन्द्र कुमार, बीएल सेन, बनवारीलाल सेन, मान प्रसाद पाल, लालाराम पाल, हुसैद हसन सिद्धीकी, अनिल कुशवाहा, रामानुग्रह विश्वकर्मा, रामकया कुशवाहा, गंगा प्रसाद शाह, रमेश शाह, पतिराज शाह, रामचन्द्र शाह, संजू शाह, प्रभात शाह, अरुण कुमार कुशवाहा, रामानुग्रह विश्वकर्मा, हरिश्चन्द्र कुशवाहा, शिवनारायण कुशवाहा, रोहित कुशवाहा, दिलीप बिंद, आशीष शाह, अनिल शाह, रामदयाल शाह, संजय शाह, रामसागर शाह, अर्जुन शाह, सहित सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।