नदी में गिरी यात्रियों से भरी बस, 3 लोगों की मौत, 28 घायल



आलीराजपुर. खंडवा-बड़ौदा राजमार्ग रविवार 2 जनवरी की तड़के बड़ा हादसा हो गया, चांदपुर के पास निजी यात्री बस पुलिया से नदी में जा गिरी. हादसे में दंपती और एक साल के मासूम की मौत हो गई है. 28 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया है.एसडीओपी श्रद्धा सोनकर के अनुसार निजी यात्री बस छोटा उदयपुर से आलीराजपुर आ रही थी. सुबह करीब 5.45 बजे चांदपुर के समीप चालक को झपकी लगने से बस पुलिया से मेलाखोदरा नदी में जा गिरी. सूचना मिलते ही टीम मौके पर जा पहुंची. घायलों को बाहर निकालकर एंबुलेंस की मदद से जिला अस्पताल भेजा गया. पुलिस के अनुसार बस में 42 लोग सवार थे. जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने पति-पत्नी और एक अन्य एक साल के बालक को मृत घोषित कर दिया है. 28 लोगों को चोट लगने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया है. घायलों में फिलहाल किसी की भी हालत गंभीर नहीं है. थाना प्रभारी मोहनसिंह डावर के अनुसार हादसे में कैलाश पिता नवलसिंह उम्र 48, उनकी पत्नी मीराबाई उम्र 45 निवासी कालाखेतार जोबट व एक वर्षीय युग पिता संजय निवासी राक्सा की मौत हो गई है.

मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अलीराजपुर के चांदपुर में हुई बस दुर्घटना के दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान देने तथा उनके परिजनों को यह वज्रपात सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है. सीएम ने बस दुर्घटना में घायल हुए नागरिकों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की है व उनके उचित उपचार के निर्देश दिए हैं. उन्होंने दिवंगतों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए का आर्थिक संबल व घायलों को भी उचित सहायता प्रदान करने के प्रशासन को निर्देश दिए हैं.

मच गई चीख-पुकार, आस पास के लोग दौड़े: क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता रोशन पचाया ने बताया कि बस पुलिस से नीचे गिरकर पलट गई. हादसा होते ही चीख पुकार मच गई. तत्काल आसपास के लोग बचाने के लिए दौड़े. चांदपुर थाना प्रभारी मोहनसिंह डावर भी दल के साथ पहुंचे और घायलों को बाहर निकालकर अस्पताल रवाना किया. कलेक्टर मनोज पुष्प, एसपी मनोज कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारी भी मौके पर पहुंचे तथा राहत कार्य की जानकारी ली. बस को जेसीबी की मदद से बाहर निकाला जा रहा है. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अगर तत्काल बचाव कार्य शुरू नहीं होता तो कुछ और लोगों की जान जा सकती थी. बस में अधिकांश श्रमिक और उनके परिवार के लोग सवार थे, जो गुजरात से यहां लौट रहे थे.