भारत में मिला ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट बीए-2



इंदौर में 4 बच्चों समेत 16 मरीजों में पुष्टि, देशभर से 530 सैम्पल जांच के लिए भेजे गए

इंदौर। दुनियाभर में कहर ढा रहे कोरोना के ओमिक्रॉन वर्जन के बीच वायरस के एक और वैरिएंट का खतरा मंडराने लगा है। इस वैरिएंट को बीए-2 नाम दिया गया है। मध्य प्रदेश के इंदौर में ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट बीए-2 ने दस्तक दे दी है। ओमिक्रॉन के नए स्ट्रेन से शहर में 16 लोग संक्रमित मिले हैं। इनमें 6 बच्चे भी हैं। वहीं, देशभर से 530 सैम्पल जांच के लिए भेजे गए है। यूके, ऑस्ट्रेलिया और डेनमार्क में भी इसके केस सामने आए हैं। यह वैरिएंट ओमिक्रॉन की तरह ही तेजी से फैलता है। ऐसे में इसकी पहचान न होने पर इसके संक्रमण को रोक पाना बड़ी चुनौती है। चिंता की बात यह है कि टेस्ट किट की पकड़ में भी नहीं आ रहा है। इसी वजह से इसे 'स्टेल्थÓ यानी छिपा हुआ वर्जन कहा जा रहा है। ब्रिटेन, स्वीडन और सिंगापुर में से हर एक देश ने 100 से ज्यादा सैम्पल जांच के लिए भेजे हैं।ओमिक्रॉन वैरिएंट अब भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में पहुंच गया है। फिलहाल देश में लगभग 22 लाख एक्टिव केस मौजूद हैं।ओमिक्रॉन वैरिएंट अब भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में पहुंच गया है। फिलहाल देश में लगभग 22 लाख एक्टिव केस मौजूद हैं।


सबसे पहले बिटेन में मिला था स्टेल्थ वर्जन

अभी ये साफ नहीं कि इस वर्जन का पहला केस कहां मिला। ब्रिटिश स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक, ब्रिटेन में पहली बार 6 दिसंबर 2021 को स्टेल्थ वर्जन का पता चला था। वहां इसके 426 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। यह अन्य वैरिएंट के मुकाबले तेजी से फैलता है। इसे ब्रिटेन में अंडर इनवेस्टिगेशन श्रेणी में रखा गया है।कोरोना के नए वैरिएंट बीए-2 के लक्षण ओमिक्रॉन की तरह ही हैं। ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए जिस जेनेटिक सोर्स को देखते हैं, वह बीए-2 में सिरे से नदारद होता है। ऐसे में जेनेटिक सीक्वेंसिंग के जरिए ही इस वैरिएंट की पहचान की जा सकती है।


ये वर्जन कितना खतरनाक?

कोरोना के तमाम वैरिएंट्स पर रिसर्च कर रही यूनिवर्सिटी ऑफ जिनेवा के निदेशक फ्लैहॉल्ट का कहना है कि इसका नाम सुनकर घबराएं नहीं, लेकिन सतर्कता जरूरी है। नया वर्जन बीए-2 ओमिक्रॉन की तरह ही संक्रामक है। हालांकि, अब तक इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि यह कितना खतरनाक है।कोरोना के नए वैरिएंट्स को पहचानने के लिए पिछले साल 17 नवंबर से ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन शेयरिंग ऑल इन्फ्लुएंजा के तहत तमाम देशों से डेटा जुटाया जा रहा है। अब तक करीब 40 देश अपना डेटा भेज भी चुके हैं, जिनमें भारत भी शामिल है।