देवरा पंचायत की कोल बस्ती: यहां आज भी चारपाईयों पर जाते हैं बीमार










वैढ़न,सिंगरौली। देश में पंचायती राज की स्थापना हो चुकी है। पंचायती राज की स्थापना में मध्य प्रदेश अग्रणी रहा है। केन्द्र तथा राज्य सरकार पंचायतों तथा गांवों के विकास के लिए अरबों रूपये खर्च कर रही हैं। ग्रामीणों का जीवन सुलभ हो सके इसके लिए कई योजनाएं भी चलायी जा रही हैं लेकिन देश को ऊर्जा प्रदान करने वाला सिंगरौली जिला एक ऐसा जिला है जहां दर्जनों ऐसी ग्राम पंचायतें हैं जहां सुविधा के नाम पर अभी लोग ७५ साल पहले का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जनपद पंचायत चितरंगी की देवरा पंचायत में आबाद कोल बस्ती भी ऐसी ही एक बस्ती है जहां बीमार हो जाने पर पहुंच मार्ग न होने से बीमारों को खटिया, चारपाई पर लिटाकर मरने से पहले ही कंधा दे दिया जाता है यानि चारपाई पर लिटाकर उन्हें कई किलोमीटर लाना पड़ता है जहां से बस या अन्य साधन उपलब्ध हो सकें। 

देवरा पंचायत की कोल बस्ती में लगभग बीस कच्चे मकान आबाद हैं जहां कोल जनजाति के लोग परिवार सहित निवास करते हैं। उबड़-खाबड़ पथरीले रास्तों से होकर काल चिन्तन टीम किसी तरह कोल बस्ती में पहुंची। देखा तो वहां बेहाल आदिवासी परिवार, उनके बच्चे व महिलाएं निर्जन में जीवन व्यतीत कर रही हैं। इनके पास आय का कोई साधन नहीं है सिवाय मजदूरी के। इस बस्ती के पुरूष व महिलाएं मजदूरी करके अपने परिवार का किसी तरह भरण पोषण करते हैं। विद्युत विभाग ने पोल गाड़ दिये हैं। दिन में एक दो घंटे बिजली का प्रकाश खंभे से प्रतीत होता है। शासन की व्यवस्था के तहत संचालित सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से इन्हें जो अनाज मिलता है उसमें भी एक किलो की कटौती करके दिया जाता है। लगभग बीस इक्कसी वर्षों से ज्यादा समय से इस बस्ती में कोल जनजाति के लोग आबाद हैं। पीने का पानी लेने के लिए इन्हें पाँच सौ से मीटर तो कभी एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ अभी तक इस बस्ती में किसी को भी नहीं मिला है। ग्रामीणों ने बताया कि रात के समय जहरीले सांप तथा अन्य पशु का भी खतरा बना रहता है। 

देवरा पंचायत की कोल बस्ती शासन के विकास की अवधारणा पर एक सवाल है जिसके उत्तर का इंतजार कोल जनजाति के लोगों को अर्से से है।