केवल टीकों से नहीं खत्म हो सकती महामारी: डब्ल्यूएचओ



नई दिल्ली । कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने  जन स्वास्थ्य सुविधाओं और सामाजिक उपाय को तत्काल बढ़ाने पर जोर दिया। डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि देश ठोस स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों से ओमिक्रोन को फैलने से रोक सकते हैं। इसके साथ-साथ डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि केवल टीकों से कोई देश महामारी से बाहर नहीं निकल पाया है। उन्होंने एक बयान में कहा, हमारा ध्यान सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों की सुरक्षा पर केंद्रित रहना चाहिए। ओमिक्रॉन से पैदा होने वाला खतरा तीन अहम सवालों पर आधारित है। ये तीन अहम सवाल हैं, वायरस का प्रसार, टीके इसके खिलाफ कितनी अच्छी सुरक्षा प्रदान करते हैं और अन्य स्वरूपों की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट कितना संक्रामक है। सिंह ने कहा, अभी तक हम यह जानते हैं कि डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन अधिक तेजी से फैलता दिखाई देता है। डेल्टा वैरिएंट के कारण पिछले कई महीनों में दुनियाभर में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका से आ रहे आंकड़ों से ओमिक्रॉन वैरिएंट से फिर से संक्रमित होने का खतरा बढ़ता दिख रहा है। हालांकि, ओमिक्रॉन से गंभीर रूप से बीमार पड़ने को लेकर उपलब्ध आंकड़े अभी तक सीमित हैं। डब्ल्यूएचओ अधिकारी ने कहा, हमें आगामी हफ्तों में और जानकारी मिलने की संभावना है। ओमिक्रॉन को हल्का मानकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इससे ज्यादा गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते, तब भी बड़ी संख्या में मामले एक बार फिर स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि अत: आईसीयू बिस्तर, ऑक्सीजन की उपलब्धता, पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल कर्मी समेत स्वास्थ्य देखभाल क्षमता की समीक्षा करने तथा इसे सभी स्तरों पर मजबूत करने की आवश्यकता है। सिंह ने कहा, हमें यह करना जारी रखना चाहिए।