दिक्कते आती हैं, हिम्मत नहीं हारते: पीके सिन्हा



काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौली। एनसीएल में कोयले के उत्पादन का स्तर ११ मिलियन टन से शुरू हुआ था, अब हम १२० मिलियन टन का उत्पादन कर रहे हैं। एनसीएल की कोल इंडिया ने १२२ टन का लक्ष्य दिया है, हमने हामी नहीं भरी है लेकिन प्रयास करेंगे। एनसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्री प्रभात कुमार झा ने गत दिवस पत्रकारों से रूबरू होते हुये उक्त उद्गार व्यक्त किये। उन्होने कहा कि कोल इंडिया ने एनसीएल को अभी तक जो भी लक्ष्य दिया है वह पूरा किया गया है। एनसीएल की टीम अच्छी, मेहनती और इमानदार है। प्रदर्शन अच्छा होता है। एनसीएल का उदाहरण कोल इंडिया में दिया जाता है। यह गर्व की बात है। एनसीएल की टीम ने लक्ष्य को हमेशा पार किया है। पत्रकारों को सम्बोधित करते हुये श्री सिन्हा ने कहा कि उनके पास एमसीएल का भी चार्ज था। एमसीएल अभी तक लक्ष्य पूरा नहीं कर रहा था लेकिन उनके दिशानिर्देश ने एमसीएल की टीम ने लक्ष्य पूरा किया। यह अभूतपूर्व था। उन्होने एक सवाल के जवाब में कहा कि खबर चली थी कि कोयले की कमी हो रही है जिससे बिजली उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन यह गलत था। हमारा कोयले का संप्रेषण हमेशा लक्ष्य पूरा करता है। जिनको हम कोयला फीड करते हैं वहां पंद्रह दिन का कोयला हमेशा रहता है। उन्होने कहा कि दिक्कते आती हैं लेकिन हम हिम्मत नहीं हारते। अभी १२० मिलियन टन का लक्ष्य है। एनसीएल प्रतिदिन लक्ष्य के साथ चल रहा है। कोल सेके्रटरी ने भुवनेश्वर में उनसे हुयी मुलाकात के दौरान १२२ मिलियन टन कोयले के उत्पादन की बात कही थी। हम प्रयासरत हैं। श्री सिन्हा ने कहा कि सिंगरौली के हजारों लोगों की जीविका एनसीएल पर निर्भर करती है। विस्थापन करना कठिन काम है। किसी का घर उजाड़ देना सही नहीं होता। एनसीएल इस बात पर विश्वास करता है कि उजाड़ने से ज्यादा बसाना जरूरी होता है। 

सवालों के जवाब में उन्होने बताया कि झिंगुरदह परियोजना एनसीएल की सबसे पुरानी परियोजना है। एनसीएल प्रबंधन ने दिनरात मेहनत करके बंद हो रही झिंगुरदह परियोजना की उम्र को दस साल तक और बढ़ा दिया है। प्रबंधन अभी टॉप सिम पर काम कर रहा है। बाद में बॉटम सिम पर काम भी किया जायेगा। ककरी परियोजना को सवा साल तक चलायेंगे। इसके बाद इसको बीना परियोजना में मर्ज कर देंगे। अतिरिक्त धन व्यय करके बीना परियोजना को १४ टन की क्षमता वाली परियोजना बनाया जायेगा। एनसीएल में तेजी से परियोजनाओं के विस्तारीकरण का कार्य किया जायेगा। नयी तकनीक भी लायी जायेगी। 


प्रदूषण हो रहा है मानता हूं

कोयले के प्रचूर उत्पादन के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। इस सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि जब धरती का सीना चीरकर कोयला निकालेंगे तो प्रदूषण होगा ही। उन्होने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है यह सच है लेकिन दोषी सिर्फ एनसीएल ही है। एनसीएल प्रदूषण रोकने के निमित्त सात हजार करोड़ रूपये खर्च कर रहा है। हर परियोजना में सीएचपी बनाया जा रहा है। एनसीएल प्रबंधन भरसक कोयलेे का सड़क परिवहन बंद करने का प्रयास किया जायेगा। सरकार सौर ऊर्जा पर काम कर रही है। २०५० तक कोयले का उपभोग जीरो प्रतिशत हो जायेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि कोयला निकालने के लिए जो विस्फोट होता है। उसपर भी नयी तकनीक लायी जा रही है ताकि ब्लास्टिंग के समय कंपन कम से कम हो तथा पर्यावरण प्रदूषण भी बच सके। 

एनसीएल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक श्री पी के सिन्हा के साथ हुयी पत्रकार वार्ता में निदेशक पी एण्ड पी, निदेशक चालन, निदेशक पर्सनल, निदेशक वित्त के साथ-साथ अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।