ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को डिप्रेशन होने का खतरा

 


टोरंटो (कनाडा)। कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान किए गए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बड़े बच्चों में अवसाद और अति व्यग्रता बढ़ने का खतरा बहुत बढ़ गया।कनाडा में महामारी के दौरान 2000 से अधिक स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट के विश्लेषण से यह बात सामने आई है। यह रिपोर्ट इन छात्रों के अभिभावकों ने ही उपलब्ध कराई थी। टोरंटों स्थित 'हॉस्पिटल फॉर सिक चिल्ड्रेन के विशेषज्ञों ने इस अध्ययन में विभिन्न प्रकार के स्क्रीन और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध होने का भी खुलासा किया।

उन्होंने पाया कि बड़ी उम्र के छात्रों में अभिभावकों द्वारा दी गई रिपोर्ट और अवसाद एवं व्यग्रता बढ़ने के बीच स्पष्ट संबंध है। टीम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, 'इन निष्कर्षों से पता चलता है कि माहमारी के दौरान और उसके के बाद भी बच्चों और युवाओं में स्वास्थ्यप्रद स्क्रीन के उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप और सामाजिक समर्थन आवश्यक हो सकते हैं।Ó अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि महामारी के दौरान छोटे बच्चों में अधिक समय तक टीवी देखने और गेम खेलने से भी भारी मात्रा में अवसाद, व्यग्रता, व्यवहार संबंधी समस्याएं और अति सक्रियता की समस्या देखी गई। विशेषज्ञों के अनुसार, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार वाले बच्चों में इस तरह की समस्या के बढ़ने का कोई खतरा नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि इस तरह समस्याएं लंबे समय तक स्क्रीन पर बैठने और सामाजिक संपर्क के लिए बहुत कम समय देने के कारण हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, 'कोविड-19 महामारी के कारण बच्चों की दिनचर्या में बड़ा बदलाव आया है।

प्रमुख निष्कर्ष

-2026 कनाडाई बच्चों को कोविड-19 महामारी के दौरान अध्ययन में शामिल किया गया

-532 बच्चे 5.9 वर्ष औसत आयु वर्ग के टारजेटकिड्स में शामिल किए गए थे!

-1494 बच्चों को तीन अन्य समूहों में शामिल किया गया जिनकी औसत आयु 11.3 वर्ष थी।

-237 बच्चों में पहले ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) हो चुका था, जिनका निदान भी हो गया था।

-टीवी या डिजिटल मीडिया में अधिक समय देनेवाले छोटे बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं अधिक देखी गईं।

-टीवी या डिजिटल मीडिया में अधिक समय देनेवाले बड़े बच्चों में गहरे अवसाद, व्यग्रता और असावधानी की समस्याएं देखी गईं।