कबाड़ माफिया को मोरवा में आमंत्रण



एमपी में फैला रहा है नेटवर्क

काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौली। सिंगरौली जिला कबाड़ माफियाओं के मकड़जाल में एक बार फिर फंसता जा रहा है। जिले में बैठे पुलिस तंत्र की मेहरबानी पर कबाड़ माफियाओं का धंधा जोर-शोर से चल रहा है। उत्तर प्रदेश क सीमा लांघकर उन्हें मध्य प्रदेश की सिंगरौली जिले में प्रश्रय मिल रहा है। सिंगरौली जिला पॉवर हब है। काला सोना से लेकर बिजली का प्रचूर मात्रा में उत्पादन हो रहा है। कंपनियां आती जा रही हैं। विस्थापन हेता जा रहा है। सिंगरौली की आदिवासी धरती पर उद्योगपतियों के झंडे गाड़े जा रहे हैं। जिले के मूल निवासी एक तरफ विस्थापन की त्रासदी झेल रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। ऐसे में एक बार फिर सीकेडी के गुर्गों का जिले में बेजां तरीके से सिर उठाना यहां के आम निवासियों की सुरक्षा के लिए सवाल पैदा कर रहा है। आम नागरिकों के साथ-साथ कंपनियों की सम्पत्ति और सम्पदा भी खतरे में पड़ रही है। 

जब सिंगरौली जिला बना था तब एसपी श्री अनुराग की कप्तानी में एक मुहिम चलायी गयी थी। मुहिम के दौरान सारे कबाड़ माफिया, कोयला तस्कर, डीजल तस्कर भूमिगत हो गये थे। इनकी दुकानों पर ताला लग गया था। एनसीएल और एनटीपीसी परियोजनाएं तथा खदानें भी सुरक्षित हो गयी थीं। अपराधों में भी आशातीत गिरावट आयी थी लेकिन एक बार फिर इन मफियाओं की चहलकदमी से प्रशासन एवं पुलिस तंत्र पर उंगलियां उठने लगी हैं। 

कबाड़ माफिया की बात करें तो इस समय उत्तर प्रदेश की सरहद पार करके खनहना बैरियर के पास एक बड़ा सा कबाड़ का गोदाम संचालित किया गया है। खनहना बैरियर के पास काम कर रहे माफिया के गुर्गों की सक्रियता कितनी है यह इस बात से साबित हो जाता है कि उनकी दूसरी शाखा भूसा मोड़ पर संचालित हो गयी है। एनसीएल की खदानों में कार्य कर रही प्राइवेट सिक्योरिटी के नुमाइंदों से सांठ-गांठ करके कबाड़ माफिया के गैंग रात को खदानों में अटैक करते हैं। लोहा, कबाड़  से लेकर ड्रक लाईन की कीमती केबुल तक पर हाथ फेरा जाता है। एक तरफ प्राइवेट सिक्योरिटी से सेटिंग होती है तो दूसरी तरफ रात में गश्त कर रही पुलिस का वरदहस्त प्राप्त होता है। ऐसे में खदानों में लूट करना आसान हो जाता है। यदि बारीकी से इनके गोदामों की जांच की जाये तो कितने बहुमूल्य स्पेयर पार्ट्स प्राप्त किये जा सकते हैं। रातों में जब इनके ट्रक लोड किये जाते हैं तो निर्विघ्र होकर सोनभद्र की सीमा को पार कर जाते हैं। इस समय जिले में चौतरफा कबाड़ माफियाओं का जाल बिछा हुआ है। जिले का शायद ही कोई थाना क्षेत्र बचा हो जहां कबाड़ियों की बुलेरों एवं स्कार्पियो रेकी न करती हो। दिन में रेकी होती है और रात में अटैक होता है।