दिल्ली बॉर्डर से शुरू हुयी किसानों की रवानगी



बहादुरगढ़। किसानों की सिंघु और टीकरी बॉर्डर से आज से रवानगी शुरू हो गई। एक साल 15 दिन तक चला किसानों का आंदोलन अब खत्म हो चुका है। 24 घंटे में 10 से ज्यादा ट्रैक्टर दोनों ही बॉर्डर से घरों की ओर रवाना भी हो चुके हैं। रवानगी से पहले किसानों ने टीकरी बॉर्डर पर भंगड़ा भी डाला। बचे हुए किसान अपने ट्रैक्टरों और बाकी साजो-सामान लोड करने में जुटे हैं।दिल्ली के बॉर्डर पर आज सुबह तक काफी बड़ा एरिया खाली हो चुका था, लेकिन हाईवे को पूरी तरह चालू होने में अभी कुछ वक्त लग सकता है। किसान नेता रलदू सिंह ने बताया कि लीडरशिप कल बड़े जत्थों के साथ रवाना होगी और तीनों बॉर्डर से कुछ किसान आज रवाना भी हुए हैं।संयुक्त किसान मोर्चा  ने गुरुवार को आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की थी। किसान संगठनों की केन्द्र से कई दिन की बातचीत के बाद दोनों ही पक्षों में सहमति बनी और फिर घर वापसी का रास्ता तय हुआ। पंजाब के किसान तो 3 नए कृषि कानूनों की वापसी के बाद ही घर जाने को तैयार थे, लेकिन हरियाणा के किसान रूस्क्क पर कानून बनाने और दर्ज मुकदमों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए थे। आखिर में इन दोनों ही मुद्दों पर सहमति बन गई। अब पंजाब, हरियाणा के साथ बाकी राज्यों के किसान भी घर वापसी करेंगे। वापसी से पहले आंदोलन में काम करने वाले लोगों का सम्मान किया जा रहा है।अमृतसर निवासी कर्मजीत सिंह व बरनाला जिला निवासी हरजिन्द्र सिंह ने कहा कि एक साल चले इस आंदोलन में हरियाणा के लोगों ने भरपूर साथ ही नहीं, बल्कि सम्मान भी दिया। उन्होंने कहा कि वे अपने दिलों में अच्छी यादें लेकर जा रहे है। आंदोलन के बीच पंजाब का अपने छोटे भाई हरियाणा से अच्छा रिश्ता बना है। हरियाणा के लोगों के साथ बने इस रिश्ते को आगे भी जारी रखा जाएगा।सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन की शुरुआत 26 नवंबर 2020 को हुई थी। उसके बाद किसानों ने एक साल तक दोनों ही बॉर्डर को अपना घर बनाए रखा। इनमें बहुत से किसान ऐसे हैं, जो आंदोलन के पहले दिन से ही यहां डटे रहे। एक दिन भी घर नहीं गए। ऐसे किसानों का मंच से गुरुवार को सम्मान भी किया गया।