छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम होता है ज्यादा मजबूत



नई दिल्ली । नए अध्ययन से पता चलता है कि शिशुओं का इम्यून सिस्टम अधिकांश लोग जैसा सोचते हैं, उससे कहीं ज्यादा मजबूत होता है और ये नए पैथोजन यानी रोगजनक (ऐसे वायरस और बैक्टीरिया जिनकी वजह से कई बीमारियां होती है) उनसे लड़ने में वयस्कों को भी मात देता है।

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इरविंग मेडिकल सेंटर के साइंटिस्टों द्वारा की गई स्टडी ये भी बता सकती है कि शिशु को‎विड-19 से कम प्रभावित क्यों होते हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलाजी एंड इम्यूनोलाजी की प्रोफेसर डोना फार्बर के अनुसार, 'शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली की जब वयस्कों के साथ तुलना की जाती है, तो उसे कमजोर और अविकसित माना जाता है। लेकिन, यह सच नहीं है।Ó नई स्टडी में डोना फार्बर और उनके सहयोगियों ने एक नए रोगजनक (पैथोजन) के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया और उसे खत्म करने की क्षमता का आकलन किया।

इंफ्लूएंजा और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस के कारण वयस्कों के मुकाबले शिशुओं में फेंफड़ों संबंधी कई बीमारियां होती हैं, जिसकी प्रमुख वजह है कि वे पहली बार इन वायरस की चपेट में आते हैं। इस दौरान रिसर्चर्स ने ऐसे टी-सेल का कलेक्शन किया, जिनका रोगजनक (पैथोजन) से कभी मुकाबला नहीं हुआ था। इन टी-सेल को वायरस से संक्रमित चूहे में डाला गया। इस दौरान वायरस को जड़ से खत्म करने में शिशुओं के टी-सेल वयस्कों के मुकाबले काफी प्रभावी साबित हुए।शिशुओं के टी-सेल न सिर्फ तेजी के साथ संक्रमित एरिया में पहुंचे, बल्कि उन्होंने बहुत तेजी के साथ मजबूत प्रतिरक्षा का भी निर्माण किया।रिसर्चर्स ने बताया कि हम उन टी-सेल्स की खोज कर रहे थे, जो पहले कभी एक्टिव नहीं हुए, लेकिन यह बड़े ही आश्चर्य की बात रही कि उनका व्यवहार उम्र के आधार पर अलग-अलग था। यह इंगित करता है कि शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। बता दें‎ ‎कि अक्सर सभी माता-पिता मानते हैं कि शिशुओं का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, इसलिए उन्हें संक्रमण से ज्यादा सुरक्षित रखने की जरूरत है। ताजा अध्ययन इस सोच को बदल सकता है।