चुनावों में आरक्षण की प्रक्रिया में रोटेशन का पालन न होने पर अध्यादेश को हाईकोर्ट के समक्ष दी गई चुनौती



काल चिंतन कार्यालय

वैढ़न,सिंगरौली। मध्यप्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा 4 दिसंबर 2021 को हो गई है जिसके संबंध में राज्य शासन द्वारा 21 नवंबर 2021 को अध्यादेश जारी कर पूर्व में किए गए परिसीमन को निरस्त कर दिया गया है तथा आरक्षण के संबंध में भी यह प्रावधानित किया गया है कि पंचायतों के कार्यकाल की समाप्ति के आधार पर ही आगामी चुनाव संपन्न होंगे अर्थात जो आरक्षण प्रक्रिया 2014-15 में थी वहीं आगामी चुनाव में भी रहेगी। इस अध्यादेश के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया है कि पूर्ववर्ती आरक्षण प्रक्रिया में जो ग्राम पंचायत एवं वार्ड जिस वर्ग को आरक्षित थे उसी वर्ग को पुन: आरक्षित रहेंगें। जो कि आरक्षण में रोटेशन की प्रक्रिया में विपरीत है।

 सिंगरौली जिले के देवसर निवासी लल्ला प्रसाद वैश्य ने अधिवक्ता ब्रहमेंद्र   पाठक के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत कर अध्यादेश 21 नवंबर 2021 के द्वारा पंचायत राज अधिनियम 1993 में सम्मिलित की गई धारा 9ए (ढ्ढढ्ढढ्ढ) को चुनौती दी गई हैं। जिस पर याचिका की सुनवाई दिनांक 6 दिसंबर 2021 दिन सोमवार को मुख्य न्यायाधिपति आर. वी. मलिमथ एवं न्यायाधिपति विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच में हुई जिसमें अधिवक्ता श्री पाठक ने यह तर्क रखा कि उक्त संशोधित प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (डी) का उल्लंघन है साथ ही पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 13(6),17,23(5) एवं 30 (5) का भी उल्लंघन क्योंकि उक्त संवैधानिक एवं विधिक प्रावधान के अनुसार प्रत्येक आगामी निर्वाचन में आरक्षण की प्रक्रिया में रोटेशन का पालन किया जाना अनिवार्य है जबकि वर्तमान घोषित निर्वाचन प्रक्रिया में उक्त आज्ञापक उपबंध का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह उपस्थित हुए तथा माननीय न्यायालय को बताया की उक्त विषय पर अन्य याचिकाएं भी लंबित है। अत: सबकी सुनवाई एक साथ कर ली जावें, जिस पर माननीय न्यायालय ने लल्ला प्रसाद वैश्य की याचिका एवं अन्य याचिका सुनवाई हेतु एक साथ दिनांक 9 दिसंबर 2021 दिन गुरुवार को निर्धारित किया गया है।